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________________ विषय-सूची . समन्तभद्र भारतीके कुछ नमूने-[सम्पादक पृष्ट २९ अपभ्रंश भाषाका शांतिनाथ चरित्र-पं. परमानंद १५३ २ तत्त्वार्यसूत्रका मंगलाचरण-[पं०दरबारीलाल जैन २२१/१० चूनडी ग्रन्थ-[पं० दीपचन्द पाण्ख्या २५७ ३ श्री दादीजी (चित्र)-जुगलकिशोर मुख्तार २३७११ वीर-शासन-जयन्ती (कविता)-[श्रीमोमप्रकाश शर्मा २६ ४ अभिनन्दनपत्र-वीर सेवकसंघ म्यू देहली २३६१२चामुण्डराय और उनके समकालीनप्राचार्य नाथूराम २६२ ५ वा. जिनेश्वरदास संघवी (मचित्र)-सम्पादक २४०५३ वीरसेवा में वीरशासनजयंती उत्सवपिंदरबारीलाब २६२ ६ गो० का दर्शन और श्र० संस्मरण[.सुमेरचंद २०१४ पथिक (कविता)-[श्री बद्द लाल जैन २६७ • भादमी, जानवर, या बेकार ? (कहानी)-श्रीभगवन् २४८१५ बुद्धिवाद-विषयक कुछ विचार-दौलतराम मित्र २६८ ८ रत्नाकर और रत्नाकराधीश्वर शतक [पं० भुजबली २५११६ श्रवणबेलगोल और इन्दौरके हलि. ग्रंथों की सूची २६॥ अनेकान्तकी सहायताके चार मार्ग 1-२५),५०)१००) या इससे अधिक रक्रम देकर बराबर ख़याल रखना और उसे अच्छी सहायता भेजना सहायकोंकी चार श्रेणियों में से किसी में अपना नाम लिखाषा तथा भिजवाना जिससे अनेकान्त अपने अच्छे विशेषाङ्क २-अपनी भोरसे असमर्थों को तथा प्रजैन संस्थानों निकाल सके, उपहार ग्रंथोंकी योजनाकर सके और उत्तम को भनेकान्त फ्री बिना मूल्य या अर्धमूल्यमें भिजवाना। लेम्बों पर पुरस्कार भी देसके । स्वत: अपनी पोरमे उपहार और इस तरह दूसरोंको अनेकान्तके पढ़नेकी सविशेष प्ररणा ग्रंथोंकी योजना भी इस मदमें शामिल होगी। करना। (इस मदमें सहायता देने वालोंकी ओरसे प्रत्येक ४--अनेकान्तके ग्राहक बनना, दूसरोंको बनाना और दस रुपयेकी सहायताके पीछे भनेकान्त चारको फ्री अथवा अनेकान्तके लिये अच्छे २ लेख लिख कर भेजना, लेखोंकी माठको मर्धमूल्यमें भेजा जा सकेगा। । सामग्री जुटाना तथा उसमें प्रकाशित होनेके लिये उपयोगी ३--उत्सव-विवाहादि दानके प्रवपरीपर अनेकान्नका चित्रांकी योजना करना, कराना ।--'व्यवस्थापक अनेकान्त' प्रार्थनाएँ "अनेकान्त" किसी स्वार्थ-बुडिसे प्रेरित होकर अथवा । चाहिये और हो सके तो युक-पुरस्सर संयतभाषाम लेखक प्राधिक उद्देश्यको लेकर नहीं निकला जाता है, किन्तु | को उसकी भूल सुभानी चाहिये। वीरमेवामन्दिरके महान् उद्देश्योंको सफल बनाते हुए लोक । 'भनेकान्य" की नीति और उद्देश्यके अनुमार लेन हितकी साधना तथा सभी सेवा बजाना ही इस पत्रका एक लिखकर भेजने के लिये देश नथा समाजके सभी सुलेखको माघ ध्येय है। अतः सभी सजनी को इसकी उमति में | को श्रामन्त्रण है। महायक होना चाहिये । सहायनाके चार मार्गोपर खास तौर __"अनेकान्त" को भेजे जाने वाले लेखादिक कागज़की से ध्यान देना चाहिए। एक ओर हाशिया छोड़कर सुवाध्य अक्षरोमें विखे होने जिन सजनों को अनेकान्तके जो लेख पसन्द मार्ग, चाहियं । लेखोंको घटाने, बढ़ाने, प्रकाशित करने न करने, उन्हें चाहिये कि वे जितने भी अधिक भाइयों को उनका लौटाने न लौटानेका सम्पूर्ण अधिकार सम्पादकको है। परिचय करासकें ज़रूर कराएं। अस्वीकृत लेख वापिस मंगानेके लिये पोस्टेज खर्च भेजना यदि कोई लेब अथवा लेखका अंश ठीक मालूम न श्रावश्यक है। लेख निम्न पतेसे भेजने चाहिय :-- हो, अथवा धर्मविरुद्ध दिम्बाई दे, तो महज़ उमाकी वजह के किसीको लेखक या सम्पादकम्मे द्वषभाव न धारण करना मम्पादक 'अनेकान्त' चाहिये, किन्तु अनेकान्त-नीतिकी उदारनामे काम लेना वीरसेवामन्दिर, सरसाषा, लि. महारनपुर अनेकान्तका मूल्य-वार्षिक छह मासका २) एक किरणका - आना
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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