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श्रीचारुकीर्ति भट्टारक-भण्डार मूडबिद्रीके कुछ हस्त लि० ग्रन्थोंकी सूची
मूडबिद्री जि. साउथकनारामें अनेक शास्त्रमण्डार हैं, जिनमें भट्टारक श्रीचारकीर्तिजीका भण्डार अन्य भण्डारोंसे अच्छा बड़ा है । इस भण्डारके हस्तलिखित ग्रन्थों की एक सूची अपने को ऐलक पन्नालाल सरस्वती भवन बम्बईके अध्यक्ष पं. रामप्रसादजीकी मार्फत प्राप्त हुई है, जिसके लिये मैं आपका बहुत प्रभारी हूँ। सूची में ग्रन्थ प्रतियोंकी संख्या १६३६ दर्ज है, जिनमे एक एक ग्रन्थकी कई कई प्रतियाँ भी शामिल हैं। ग्रन्थ-संख्या ८०० के करीब होगी। अधिकांश ग्रन्थ या तो मूलतः कनडी भाषामें हैं और या कन्नडभाषाके अनुवाद तथा टीका-टिप्पण को लिये हुए हैं । ग्रन्थसूची किमी अरछे जानकार विद्वानके द्वारा तय्यार की गई मालूम नहीं होती-वह बहुत कुछ असावधान हाथोंसे बनाई गई है, और ऐसी मोटी मोटी त्रुटियोये भी परिपूर्ण है जिन्हें देखकर आश्चर्य तथा खेद होता है ! और यह खयाल पाता है कि भट्टारकी जैसी संस्थामें, जहाँ थोडेसे इशारेपर अच्छे विद्वान काम करने वाले मिल सकते हैं, ऐसी ग़लत सूची क्यों तय्यार करके रकखी जाती है ? और क्यों ऐसी मुकम्मल सूची तय्यार नहीं कराई जाती जो अपने भण्डारके ग्रन्थों के नाम, कर्ता, विषय, भाषा, श्लोकसंख्या और रचना नथा लिपि-कालादि-सम्बन्धी अभ्रान्त यथार्थ परिचय दे सके, ऐसा करना इस प्रकारकी संस्थाओंका स्वास कर्तव्य है और वह साहित्यसेवाका प्रधान अंग है। इस विषयमे उपेक्षा धारण करना और लापर्वाही वर्तना किमी तरह भी उचित नहीं कहा जा सकता । अस्तु, उक्त मूचीपर से यहाँ सिर्फ उन ग्रन्थों की ही कुछ सूची दी जाती है जो अनेकान्तकी गत किरणोंमे प्रकाशित सूचियोमें नहीं थाए हैं। इस सूचीके तय्यार करनेमे जहाँ तक अपनी पहुँचके भीतर हो सका उक सूचीकी मोटी मोटी भृलोको दूर करनेका यत्न किया गया है, फिर भी ग्रन्थ-प्रतियों सामने न होनेसे पहुंचसे बाहरकी कुछ भूलोका रह जाना संभव है, जिनका सुधार बादको हो सकेगा। भट्टारकजीये सादर अनुरोध है कि वे मूलग्रन्थ-प्रतियोंपरसे इस सूची को ऊंचवाएँ और यदि कहीं भूल मालूम पडे तो उससे शीघ्र ही मूचित करने की कृपा करे । साथ ही, जिन ग्रन्थोंका रचना-काल उन ग्रन्थोंपरमे उपलब्ध होता हो उसे भी लिखकर भिजवाने की कृपा करें और जो ग्रन्थ इनमें अजैन हो उसके विषयमें स्पष्ट लिख देव कि यह अजैन है । आशा है दि. जैनग्रन्थसूचीके निर्माण विषयके इस सत्कार्य में आपका इतना सहयोग वीरसेवामन्दिरको ज़रूर प्राप्त होगा। और इस कृपाके लिये मैं श्रापका बहुत श्राभरी हूंगा।
सम्पादक
भंानं
ग्रन्थ-नाम
ग्रन्थकार-नाम
भाषा
पत्र-संख्या
श्रानुमानिक श्लोक संख्या
विषय
केशवण्ण
कन्नड़
प्रथमानुयोग
कवि श्रादिनाथ
३५४ अण्णालचरिते
अण्णालचरित्र
अनन्तनोहिचरित्र १७३ अनन्तनोहिपूजाविधान
अनुप्रेक्षा
अपराजितशतक ८०५ अभिधानकोष (अपूर्ण) १७६ अमृतनंद्यलंकार
" पूजा भावना द्रव्यानुयोग
सोमदेव कविरत्नाकर नागवर्म 1 अमृतनन्दि
ow" 10 V
कोष
25
। अलंकार