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________________ किरण ५ ] अन्य रखा जाय । वेष्टनपर बाहर ग्रंथनामकी चिटपरचो तथा नम्बरका कार्ड लगना चाहिए । सूचीरजिस्टर वेष्टन नम्बर तथा अनुक्रम नम्बर से तैयार रहने चाहिए, जिसमें शोध पता लग सके । जीर्ण ग्रन्थोकी दूसरी प्रतियां तैयार करानी चाहिएँ जो शास्त्र फटनेको हो उनकी पारदर्शक कागज मे मरम्मत करानी चाहिए। वर्ष में एक बार भंडारकी र आन्दोलन आबू आन्दोलन सिरोही राज्यका आवृ पर्वत अपनी प्राकृतिक सुन्द"रता और शुभवातावरण के कारण न केवल आज ही भारतका एक प्रसिद्ध ग्रीष्म-प्रवास बना हुआ है, बल्कि यह हमेशा ने यहांके ऋषि-मुनियोंका एक तपोवन र धर्म ध्यान के साधक भव्य भारतीयांका एक तीर्थस्थान बना रहा है। इसी का यहां पर करोड़ो की विल सम्पत्ति लगाकर देलवाड़ा, अचलगढ़, अधरदेवा, गुरु वशिष्ठ और गुरु शिखरजी इत्यादि अनेक अनुपम, ऐतिहासिक जैन आर अर्जन मन्दिर बने हुए है । इन मन्दिर्गक दर्शनों अपने जावनको पवित्र करने के लिए हर साल हजारों हिन्दू यात्री भारत के सब ही देशोसे चलकर यहां आते है। परन्तु कितना घोर अन्याय है कि दूरदराजम क उटाक आने वाले इन यात्रियों पर मिराही सरकारने यात्री टैक्स लगाया हुआ हूँ । इस टेक्सका अन्याय केवल इस बात से ही प्रगट नहीं है कि यह यात्रियाकी धर्म-साधना में अड़चन डालने के कारण उनके धार्मिक स्वतन्त्रताके जन्मसिद्ध अधिकारको छीनने वाला है, बल्कि इसलिये भी कि यह टैक्स अंग्रेज, एङ्गलो इण्डियन आदि अन्य लोगोंसे न लिया जाकर केवल मन्दिरोंके दर्शनार्थ आने वाले हिन्दू यात्रियोंसे ही लिया जाता है। इस पर ग़जब यह है कि यह टैक्स न तो यात्रियोंको किसी प्रकार की रक्षा व सुभीता पहुॅचाने के काम आता न दीन २०१ पड़ताल, संभाल तथा व्यवस्था जरूर होजानी चाहिए । दूसरे भण्डारामं प्रतियाँ गानका क्रम जारी रखना चाहिए तथा हर जगह एक-दो लेखकोको प्रेरणा देकर तैयार रखना चाहिए । और पंचोंको शास्त्राक देने में व्यर्थ की अड़चने न डालनी चाहिए । इन बातोंपर अनल होनेसे भंडार सुव्यवस्थित र उपयोगा बन सकते है । दुखी लोगोके दुःखहरणके काम आता है, न यह मन्दिकी दुरुस्ती -मरम्मत, न मूर्तियांकी पूजाआरती, न पुजारियांक भोजन-वस्त्र के किसी काम में लाया जाता है। इस टैक्स लगाने में यदि कोई नीति है तो यह कि सिरोही सरकार हिन्दू यात्रियोंकी धर्मपरायणता में अपनी धन- लालमाको पूरा करना चाहता है। यह टेक्म सरासर पाप और अन्याय पर अवलम्बित है । इस टंक्सके विरोध में कर्मवीर ला० तनमुखराय जी जैनकी अध्यक्षता मे जो आन्दोलन मुद्दतमे चल रहा है, वह सर्वथा सराहनीय है । लालाजी और उनके अन्य साथियोंके अटूट परिश्रम के कारण आज इस आन्दोलनने भारतको तमाम हिन्दु जनता का ध्यान और सद्भाव अपनी ओर खींच लिया है। अत्र यह आन्दोलन बिना सफलमनोरथ हुए किसी प्रकार भी शान्त होने वाला नहीं है। इसके लिये लालाजी और उनके साथी बड़े ही धन्यवादक पात्र है । हमें पूर्ण विश्वास है कि सिरोही महाराज अपनी उदारता और विचारशीलताको काम में लाकर इस आन्दोलनको सत्याग्रहको सामा तक न बढ़ने देंगे, वह हिन्दू जनताकी पुकार में प्रभावित होकर शीघ्र ही इस टैक्सको हटा देंगे और यात्रियोंको सब ही प्रकारकी सुविधाएँ पहुँचाने में अपनी धर्मपरायणताकापूरापूग सबूत देंगे। वीर-सेवा-मन्दिर ] — जयभगवान जैन वकील
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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