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________________ अनेकान्तके सहायक जिन सज्जनोंने 'अनेकान्सकी ठोस सेवाओंके प्रति अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उसे घाटेकी चिन्ता मुक्त रहकर निराकुखतापूर्वक अपने कार्य में प्रगति करने और अधिकाधिक रूपसे समाज सेवाओंमें अग्रसर होनेके लिये सहायताका वचन दिया है और इस प्रकार अनेकान्तकी सहायक श्रेणीमें अपना नाम लिखाकर अनेकान्त के संचालकों को प्रोत्साहित किया है उनके शुभ नाम सहायताकी रकम सहिन इस प्रकार हैं * १२२) वा. छोटेलालजी जैन रईस कलकत्ता * १०१ ) वा अजितप्रसादजी जैन एडवोकेट, लखनऊ । * १०१ ) या बहादुरसिंहजी सिंधी, कलकत्ता । १००) साहू श्रेयांमप्रसादजी जैन, लाहौर * १००) साहू शान्तिप्रमादजी जैन, डालमियानगर * १००) बा. शांतिनाथ नंदलालजी जैन, कलकत्ता सुपुत्र था. १००) ला. तनसुखरायजी जैन. न्यू देहली * १००) सेठ जोखीराम बैजनाथजी सरावगी, कलकत्ता १००) बा. लालचंदजी जैन, एडवोकेट, रोहतक १००) बा. जय भगवानजी वकील यादि जैन पंचान, पानीपत *५१) रा.बा. उल्फनरायजी जैन रि. इंजीनियर, मेरठ * २१) ला दलीपसिंह काराशी और उनकी मार्फत देहली * २५) पं० नाथूरामजी प्रेमी, हिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकर बम्बई । * २५) ला रूड़ामलजी जैन, शामियाने वाले, सहारनपुर । * २५) बा. रघुवग्दयालजी, एम. ए. करोलबाग़ देहली। * २५) पेठ गुलाबचंदजी जैन टोंग्या, इन्दौर । * २५) खा. बाबूराम कलंकप्रसादजी जैन, तिस्मा (मु.म.) २५) मु ंशी सुमतप्रसादजी जैन, रिटायर्ड अमीन सहारनपुर * २५) ना० दीपचंदजी जैन रईस, देहरादून । * २५) खा० प्रयुम्नकुमारजी जैन रईम. सहाररूपुर | * २२) सवाई सिंह धर्मदास भगवानदासजी जैन, सतना । आशा है अनेकान्तकं प्रेमी दूसरे सज्जन भी आपका धनुकरण करेंगे और शीघ्र ही सहायक स्कीमको सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करके यशकं भागी बनेंगे । नोट -- जिम रकमोंके सामने * यह चिन्ह दिया है वे पूरी प्राप्त हो चुकी हैं। व्यवस्थापक 'अनेकांत' वीरसेवामंदिर, मरसावा (सहारनपुर) अमेकान्तकी सहायता गत ९ वीं किरण में प्रकाशित सहायताके बाद अनेकान्तको निन्न लिखित १२) रु० की सहायता प्राप्त हुई है। जिसके लिये दाता महाशय धन्यबादके पात्र हैं : १०) ला० बारुमल कीर्तिप्रसादजी जैन मुजफ्फरनगर और ला० अयोध्याप्रसादजी जैन, रायपुर ( सी० पी०) । ( चि० जगदीशप्रसाद के विवाह में निकाले हुए दानमें से ) । २) ला० रामशरणजी जैन मुनीम, मुरादाबाद (पर्या पर्वकी सानन्द समाप्तिकी खुशी में निकाले हुए दान)। arr सेवामन्दिरको सहायता श्रीमान ला० रेशमीलालजी सेठिया बघेरवाल जैन इन्दौरने हाल में बीरसेवाममंदिरकी प्रकीर्णक पुस्तकमालाको २५) रु० की सहायता प्रदान की है, जिसके लिये आपको हार्दिक धन्यवाद है । अधिष्ठाता 'air संवामन्दिर' सरसावा जि० सहारनपुर । अनेकान्तकी फाइलें और फुटकर किरणें अनेकान्त के प्रथम तीन वर्षोंकी बहुत ही थोड़ी फाइलें अवशिष्ट हैं, अर्थात् प्रथम वर्षकी २५, द्वितीय वर्षकी १०, और तृतीय वर्षकी १०, फाइलें निजी कोष में प्रस्तुत हैं, जिन्हें आवश्यकता हो वे शीघ्र ही मँगा लेवें फिर इन फाइलों का मिलना किसी भी मूल्य पर न हो सकेगा । मू० तीनों का क्रमशः ४), ३५, ३) रुपये है, डाक व रजिष्ट्री खर्च प्रत्येक फाइलका || बारह आना अलग होगा। इसके सिवाय, प्रथम वर्ष की पहली और तृतीय वर्षकी चौथी मे ९ वीं तक किरणों को छोड़कर शेष फुटकर किरों भी कुछ स्टाक में मौजूद हैं, जो अर्ध मूल्य में दी जाएँगी । पोस्टेज प्रत्येक किरणका एक खाना, विशेषांक या दो चाना होगा । चौथे वर्षकी फाइलों तथा फुटकर किरणोंपर पोस्टेज नहीं लिया जायगा । -व्यवस्थापक 'अनेकान्त'
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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