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अनेकान्त
प्रन्थ-नाम
[वर्ष ४ ___ भाषा पत्र-संख्या रचनासं लिपिसं० हिंदी गद्य हिंदी पद्य | १९३-१९८
११ से १३
षटमतव्यवस्थावर्णन षोडशकारणकथा षोडषकारणवतकथा सत्तात्रिभंगीरचना सत्तात्रिभंगीवचनिका सप्तषिपूजा सभासारनाटक समकितरास समवसरणपाठ
टी.१७२
प्रा०, हिंदी हिंदी पद्य
ग्रंथकार-नाम पं० शिवचंद्र कवि भैरोदास ब्रज्ञानसागर कुँवरधर्मार्थी कुँवरधर्मार्थी कवि मनरंगलाल पं० रघुराम ब्र०जिनदास कवि लालजी पं० ब्रह्मगुलाल, भ० जगभूषण पं० धर्मरुचि पं० रामचंद्र देवब्राह्मचारी पं०दिलसुखराय पं० लालचंद्र मनसुखसागर
३७१-३७२
., पद्य हिंदी पद्य
१८३४
समाधि सम्मेदशिखरपूजा
पद्य हिंदी पद्य
१६१८
१९१५ १८५५ १४४०
१२ से १४
५२
टी.१८३२/
सम्मेदशिखरमाहात्म्य सलोनोरक्षाबंधनपूजा संजयंतकथा सामायिकपाठ टीका सिद्धचक्रपाठ सिद्धान्तसार (भा० टी०) सीखपचीसी सुगन्धदशमीकथा सुदर्शनचरित्र सुदर्शनचरि (श्वे०) सुदर्शनरास सोनागिरपूजा सोलाहकारणभावना (सटीक) सोलहकारगारासा स्वामीकर्तिकेयानुपेक्षा सटीका हनुमन्तरास हनुमानचरित्र (श्वे०) हनुमानचौपाई हरिवंशपुराणवचनिका हितकरभजनमाला होजीकथा जोखीकया
म.प्रभाचंद्र.टी.त्रिलोकेंद्रकीर्ति संग० हिंदी कवि संतलाल
हिंदी पद्य म नरेन्द्रसेन, पं०देवीदासगोधा | सं० हिंदी २३२ टी.१८४४ पं० वीरदास (हर्षकर्तिशिष्य) हिंदी पद्य
७७ से ७८ १६६६ पं० सुखसागर
४१-४५
२२ । १६६३ | १८०१ ब्र० ऋषिराय
६ .... |११२ ब्र०जिनदास(विशालकीर्ति शिष्य)
|१६०-१६६ .... मनसुखसागर
१४ से १५ / १८४६ मू० रहधूकवि, टी०५०शिवचंद्र अपभ्र०हिं० गद्य १६ टी.१९४८ १९४८ भ० सकसकीर्ति
हिंदी पद्य | ५२ से १३ टी०५० जयचंद्र
प्रा०, हिंदी १८१ टी.१८६३ १६१४ ब्र०जिनदास(भुवनकीर्तिशिप्य)
हिंदी पद्य | ३५७-३६७
हिंदी पद्य ब्र०रायमल
१७११६१६ | १८४१ पं० दौलतराम
सं०हिंदी ३४२
१६२४ पं० हितकर
हिंदी पद्य । १४-७४ पं० वेगराज
हिंदी गप
१७६५ | पं० छीतरमल, मौजाबाद
८ । १६६०.१७१८
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