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________________ ४६. भनेकान्त [वर्ष ४ रुचिर चार अभिराम वर, दरसनीय रमनीय ॥८९॥ १७ सदन गेह श्रालय निलय, मंदिर भवन प्रवास । १३२तसकर निसचर गूढनर, 'भिल्ल पुलिंद किरात। साल सरन आगार ग्रह, धाम निकत निवाम ॥१०१ १36दूत चारचर 1 "पिसुन खल, असनिवज निर्घात १७"सोध राजगृह धवलगृह, नगर पटन पुर प्राम । १३ मन मानम अंतःकरन, हृदय चेत चित जानि। १७ नेय खात परिखा गग्त, उपकानन पागम ।१०० १३जीव हंस चेतन अलब, जंतु भूत जन प्रानि ॥९१॥ सुरमंडप देवायतन, चैत्यालय प्रासाद । 13वृद्ध पलिनननु थविग्नर, १४°जुवजन तरुन रसाल। १८ तांडव नाटक नृत्य तह, १८ गीत गान सुर नाद १०३ १४अमावक दारक पाक प्रथु, डिंभ पात सिसु बाल।।९२॥ १८२षडज ऋषभ गंधार पुनि, पंचम मध्यम जान । १४२काय कलेवर संहनन, मूरति उपधन गात । धेवत रूप निषाद तह, ए सुर मात वग्वानि ॥१०४।। विग्रह देह मगर वपु, पंचभूतसंजात ॥९३।। १८ करुना कौतुक भयकग्न, वीर हास भिंगार । १४ रुधिररकत साणित छतन,16"पिसित तास पल मांस सांत रुद्र बीभत्स तह, ए नवग्स मंमार ॥१०५।। १४५विष्ठा गूथ पुरीष मल, १४६बीज रेत बल श्रम ॥९४॥ १ट पामल तिक्त कषाय कटु, छार मधुर ग्म जान । १४"सीस मह उनमंग सिर, १४“अलिक ललाट सुभाल । १८"प्रीषम पावस सग्द हिम, सिसिर वसंत वखान १०६ १४९कंठ सिरोधर ग्रीव गल, १५"चिकुर कंस का बाल ।९५ १८६ उदतन मंजन कुसुम, चंदनलंपशगर । Tपनेन विलोचन चक्षु दृग,५२पलक १५3भोह भ्रव जानि । अलकावलि मसिविंदु तह, कजल कंचुकी चीर १०७ पबदन तंडानन लपन, १"वचन सबदरव वानि९६ कंकुम खौरि तबोलमुग्व, चंदनजावक लज्ज । पादन दमन गदकरदन, १५'नामि नासिका घान । दसनसुरंगित चातुरी, ए षोडम तियसज्ज ।।१०८।। १५अधर देतपट रदनछद,९५९ श्रोत श्रवन श्रुति काना९१ १८ ककन किंकिनि कंठमनि, कंडल वेसरि आढ। १६०गड कपोल सुवक्ष उर, १६२कुच उरोज पयदानि नूपुर हार स-मुद्रिका, विच्छिक जेहरि टाड ॥१०९।। ११ उदर जठर कटि श्रोणि कट' भुजा बाँहाकर पानि १८८मीनकंतु मनसिज मदन, मार काम मनमत्थ । १६ तारक गोलक पूनली, १६दिष्टि अपांग कटाख। संवरहरन अनंग रति, रमन पंचसाहत्थ ॥११०।। पहजन कजल रागगज, ११°अंगुलिका करसाखा९९ १८ वसीकरन मोहन तपन, उच्चाटन उन्माद । १०'ऊरु जानु जंघा जघन, १.०२ अहि चरन पद पाय । १९०तंती दुंदुभि संखधुनि, कंस ताल करवाद ॥१११॥ १७कबरी चूडा धमिल सिख, वैनी कचसमुदाय ॥१००॥ १२'कौतूहल कौतुक अहो, अदभुत चित्र अचंभ । . . - १९२माया कैनव छदम छल, व्याज कपट मिष दंभ ११२ १३२ चोरनाम १३३ भीलनाम १३४ दूतनाम १३५ १९३हरष तोष आनंद मुद, १९४श्रमग्ष कोप मरोस । दुष्टनाम १३६ वजनाम १३७ मननाम १३८ जीवनाम १३६ ५९"कृपा सुहित करुना दया, अनुकंपा अनुकोस ॥११३।। वृद्धपुरुषनाम १४० युवानाम १४१वालकनाम १४२शरीरनाम १९६प्रेम प्रीति अभिलाष सम्ब, गग नेह संजोग। १४३रुधिरनाम १४४मांसनाम १५मलनाम १४६ वीर्यनाम विछरन फुल्लक विरह दुख, मनमथविथा वियोग||११४ १४७ शिरनाम १४८ मस्तकमाम १४६ कंठनाम १५० बाल- १७४ घरनाम १७५ राजगृहनाम १७६ नगरनाम १७७ खाई नाम १५१ नेत्रनाम १५२ पलकनाम १५३ भौंहनाम नाम १७८ वागनाम १७६ मंदिरनाम १८० नृत्यनाम १५४ मुखनाम १५५ वचननाम १५६ दाँतनाम १५७ १८ गीतनाम १८२ सप्तस्वरनाम १८३ नवरसनाम नासिकानाम १५८ श्रोष्ठनाम १५६ कर्णनाम १६० कपोल- १४ षटरसनाम १८५ छहऋतुनाम १८६ सोलह शृंगार नाम १६१ छातीनाम १६२ स्तननाम १६३ पेटनाम नाम १८७ द्वादश श्राभरणनाम १८८ कामनाम १८६काम१६४ कमरनाम १६५ भुजानाम १६६हस्तनाम १६७ पुतली पंचवाणनाम 18. पंचशम्दनाम १९, कौतुकनाम नाम १६८ कटाक्षनाम १६६ काजल नाम १७० अंगुरीनाम १६२ कपटनाम १६३ श्रानंदनाम ११४ कोपनाम १६५ १७१ जांधनाम १७२ पैर (पाद) नाम १७३ चोटीनाम । दयानाम १६६ प्रीतिनाम १६७ विरहनाम ।
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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