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________________ श्रीजैनमन्दिर सेठका कुँचा देहलीके कुछ हस्तलिखित ग्रन्थोंकी सूची इली सेठके चेके जैनमन्दिरमें भी हस्तलिखित ग्रन्योका अच्छा भण्डार है। इस शास्त्रमण्डारका द प्रबन्ध प्राय: पं० महबूवसिंहजीके हाथमें है, जो स्वभावके बड़े सजन हैं और हमेशा ग्रन्थावलोकन ४.. करने वालोको अवलोकनकार्यमें यथेष्ट सुविधा देते रहते हैं। यहाँ भी ग्रन्थ अल्मारियों में अच्छी व्यवस्था के साथ विराजमान है-लटकती हुई गत्तेकी पट्टियों पर प्रत्येक वेठनमें पाये जाने वाले ग्रन्थोंके नम्बर नया नामादिक अंकित हैं। ग्रन्थसूची यद्यपि ग्रन्थकर्ताके नामादि सम्बन्धी अनेक त्रुटियोंको लिये हुए है, फिर भी उस परसे अन्योंके निकालनेमें कोई दिक्कत नहीं होती । इस ग्रन्थसूचीकी कापी भी बाबू पन्नालालजी अग्रवालने अपने हाथसे उतार कर मेरे पास भेजी है, जिसके लिये मैं उनका श्राभारी हूँ । सूची परसे ग्रन्थप्रतियोंकी संख्या सब मिलाकर १४०० के करीब जान पड़ती है । अनेक ग्रन्थोंकी कई कई प्रतियाँ हैं, इससे अन्य संख्या ६०० या ७०० के करीब होगी। इमी ग्रन्थसूची परसे कुछ खाम ग्वास ग्रन्थोकी यह सूची तय्यार कराई गई है। इस सूचीमें उन बहुतसे ग्रन्थोंको नहीं लिया गया है-छोड़ दया है-जो पिछली दो किरणोंमें प्रकाशित नयामन्दिरकी सूची में श्राचुके हैं। साथ ही, सूचीमें ग्रन्थकर्ताके नामोकी जो टियाँ थीं और लिपि सम्वतोंका पूर्णतया अभाव था उस सबकी पूर्ति भी ग्रन्थप्रतियों परसे, दो दिन देहली ठहरकर चा० पन्नालालजीके सहयोगसे करदी गई है। फिर भी समयाभावके कारण पिछले कुछ ग्रन्थ जाँचसे रह गये है-उनके लिपि सम्वतोंका नोट नहीं होसका । कुछ ग्रन्थ बाहर गये होनेके कारण भी जाँच तथा नोटसे रह गये हैं। जाँचके समय जिन ग्रन्थोंका रचना-सम्बत् सहज हीमें मालूम होसका है उसे भी नोट कर दिया गया है-शेषको छोड़ दिया है। इस भण्डारमें हिन्दी ग्रन्थोंकी संख्या अधिक है और उनपरसे हिन्दीके कितने ही अज्ञात लेखको तथा कवियोंका पता चलता है। 'बुद्धिसागर' नामका ग्रन्थ मुसलमान कविकी श्राजसे ३०० वर्ष पहलेकी हिन्दी रचना है और वह सम्राट अकबर आदि से सम्बन्ध रखने वाली अनेक ऐतिहासिक बातोंके उल्लेखको लिये हुए है। -सम्पादक ग्रन्थ-नाम ग्रन्थकार-नाम भाषा | पत्रसंख्या रचना सं० लिापसंवत् हिन्दी पद्य । १९८५ , १९८० मंस्कृत-हिन्दी हिंदी पद्य । प्राकृत-हिन्दी १९८४ १९८३ १८६२ १८७४ १६७७ पं. देवदत्त हिन्दी पद्य अक्कलमार पं० ग्वबचन्द अजितनाथपुराण पं० देवदत्त अध्यात्मदोहा पं. रूपचन्द अनगारधर्मामृत (भा. टी.) पं० श्राशाधर अनिरुद्धकुमारचरित भागचन्द श्रावक अनुत्तरोपपाददशाग (श्वे..हि.टि.) अन्त:कृतदशाग , अभिनन्दनपुराण श्रमरविलास अमरकवि श्राचारमार (सटिप्पण) वीरनन्दी श्रादित्यव्रतकथा मल्लपुत्र अगरवाल उद्यमप्रकाश कवि क्षत्रपति पद्मावती पुरवाल उद्धारकोष (मंत्रबीजादिकोष) दक्षिणामूर्ति (जैन) उपदेशरत्नमाला भ० सकलभूषण उपामकदशांगसूत्र (श्वे.) ऋषिदत्ताचरित्र (शीलप्रबंध) । देवकलम (पाठकदेवका शिष्य) १७७० मंस्कृत हिंदीपद्य (१५६) १६८३ संस्कृत प्राकृत हिंदी १५६६ 'x(जीर्ण)
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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