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किरण ६-७]
कलाकार ब्रह्मगुलाल
महसूम किया है, कि पन्हें व्यर्थ गंना नहीं, रोतांको बदलता है, तो गजका अपराधी है, क्योंकि यह चुप करना चाहिए । घरमें वह बड़े' जो हैं। मुनि-धर्मके विरुद्ध चलता है, उसका अपमान करता ___ प्रधान-मचिव बाले-गनम अगर कोई लौट है। और नहीं बदलता, तो नगर त्याग ही माना है।' पाना होता तो लोग मौनस डर ही क्यों ? नीन चाल महागजकं मनमें ममागई। बोले-हो.
यह ठीक है।' दिन में इतना रोया गया है कि उसे अनिच्छा भी यह
xxxx लौट आना पड़ता। पर, गया हुआ कभी, किसीका ब्रह्मगुलाल माझा मिलते ही दरिमें उपस्थित लौटा है ? ऐसे ही दुम्बाका नाम ना दुनिया है । जो हमा! सिर नवा कर एक चोर खड़ा हो गया। सामने आना है, भागना ही पड़ता है-कर भागा, महागज कहने लगेया हैसकर । पर, यह जरूर है; किया बहुत बुरा।' प्रमगुलाल ! जो हुआ है, वह बहुत दुग्यदाई ___महागजन धारसे पूछ दिया-किसन ?' हुभा है। उमस मेग हृदय बहुत दुम्ब गया है। मैं 'किसन ?-इसी ब्रह्मगुलालने, और किसने । क्या प्रतिक्षण अपनेको युवराज पास जाता हुमा भनुउम यह चाहिए था ? आपती उसके बापकी शादी भव करता हूं। माह की प्रबलताने मुझे हतयुद्धि कर कराकर वंश-चलवाएँ। और वह आपके वंशका दिया है । तुम दिगम्बर-साधुका कप रख कर लानी, निमल करे । है न, कृतघ्नता। इससे बुग और तह और मेरे विकल-हृदयको वैगग्य-रस सन्तोपिन
कगे।... कर क्या मकता था ?'
ब्रह्मगुलाल क्षणभर चुप रहा ! ____ पर, मेग नयाल है-बुग किया है, वह मरे गजकुमारकी दुम्बद-मृत्युकी ग्मृतिने साजा होकर भाग्यने । नहीं, उससे शेगका रूप रखनेको कहा ही उसकी आँखोंमें मांसू भर दिए । महाराजकी शांकक्यों जाता ? और कहा ही गया, तो उसकी अपराध- शील मुद्रान भी उसे कम मर्माहत न किया। क्षमाकी शर्त क्यों मंजूर होती ? क्यों, है न ?' गद्गद् कण्ठसं बोला-'जैसी आक्षा।' 'हो! यह तो ठीक है । लेकिन महाराज ! ऐन और लौट आया !
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xx भारमीका नगरमें रहना कदापि उचित नहीं। खनी है, हत्याग है-क्या ठीक, कब-क्या कर डाले ?' पर भाया वा देग-सब सगे-सम्बन्धी लौटने
'लेकिन अब यों, इस तरह दण्ड देना भी तो की प्रतीक्षामें बैठे हुए भविष्य चिन्ता कर रहे! अन्याय है, बदनामीका कारण है। लोग कहेंगे- नरह-तरहकी कयास बन्दियो हारही हैं ! मह सबके
उतरे हुए है। अधिकार-मत्ताके ग़रूरमें इन्साफ भी भली
स-कुशल प्रमगुलालको लौटने देख, कुछ खुश कसा माफ करने पर भी- सजा दी, जिसका कि तो जरूर हए । लकिन ममका भय दूर नहा सकाहक नहीं था।
'न जानें क्या हुक्म हुमा हो?' ___ 'यों नही, इसकी एक सीब है-बड़ी खूबसूरत। पूछने पर ब्रह्मगुलालन सविस्तार गज-माझा वह, यह किसे 'दिगम्बर-साधु' का पवित्र-रूप रख सुना दी। और कहां-'पाप मब लोग मौरद हैं। कर भानका हुक्म दिया जाए। फिर अगर वह उस कहिए, मुझे अब क्या करना चाहिए ? दो रास्ते है