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________________ Registered No A 731 9 श्रीमद् राजचन्द्र म. गांधोजी लिखित महत्वपूर्ण प्रस्तावना और संस्मरण-सहित महान ग्रंथ गुजरात सुपमिद तत्ववेत्ता शतावधानो कविवर गयचंद्र गुजरात प्रथका हिंदी अनुवाद महारमाजाने इसकी प्रस्तावना मेलिना--' मर जावापर म्यता कवि रायचद्र भाई की छाप पडा है।टानन्दाय आर रासन अपना भा राय भाइन मुझ पर गहरा प्रभावला है।" गयडजा एक अहन मापान समय के महान तत्त्वज्ञानी भोर विचारकथामदामाश्राका जन्मदनबालापूरयामाठवावरम जन्मभर उन्हान तमाम धमा का गहराइस अध्ययन किया था मार सनत्वा पर अपनावनार बनाय । उनकी स्मरणशांक ग़जब का था, किमाभा प्रकोप हरबाथ (याद) कर लेत थे शनावधानी तो थंह भवानमा बानाम माथ उगा लगा मान थ। इनमें उनकाय हुए जनन-कल्याणकारी, जावन म सब भार शान वान, जानना पयागा, सबमनमभाव, महिमा, सत्य आदि नत्ता का विशद विवचन।श्रामद का बनाई हमाक्षमाला, भावनाबाध मात्मासाद्ध भाद छाट माट ग्रंथाकामना गरम मायनज उनक ८०४ पत्र, जो मान समय समय पर अपन मुनानना लियन, ननका इमम मा । साधण अफरीका में किया हुआ महात्मा गापा जोर मानिन। अध्या-म भार तस्वज्ञानका ताम्बजाना ही। रायनको मनमा सहिदा पत्यक विचारशील विद्वान और दशभक की गय काय कलाम रटाना चहिया पत्र सम्पादक और नामी नामो बिदानीन मुक कहना काम ग्रंा पाया में विरहीनिकलत है। इमक अनुवादक 'गबद्रशमा एम । गुजराती में इस प्रथ के सानाशनहा में या मारा हर बार मामा गावाजा के प्राग्रह स प्रकाशन दुमाया था • पक मार पृष्ठल-रच.. ऊपर कपड़ की सुन्दर मजबूत जिलदायकाज पर कनागरपार है।मूल्य ६) छ रुपया है, जो किलागलमा लागतो अन्य कागतय५) ..। जो महोदय गुजराना म.पा मावना च.. उनकजय य: असावनसपंच राम्मलाक दुमा मन्थ पुरुपायामयुगाब ११), नानागावरा, मन नर्गन ), रामग्रा.) गाम्मटसार कर्मकांड २), गाम्मरमा जायकाई .1), लालमार ), प्रवचनसार ५). परमा-मप्रकाश तथा योगसार ५), बद्वादमंजरी मायनवाधिगममूत्र ३). मतमाता भावनाबोध . उपरशा या आत्ममिति ॥), योगमा ।) मभा पन्थ सरल भाटा का मान है। विशप हाल जानना चाहनो मुयोग्त्र मंगाल। ग्वाम रियायत जा भाई गयचर नशाखमानांक माथ ) के गन्थ मंगा, उन्हें उमाम्बातिकृत 'सभाध्यतस्वाधिगममत्र तत्वार्थ मूत्र-निशान भटीका मदिन ३) का प्रन्थ भेंट देगे। मिलने का पनापग्मश्रत-प्रभावकमंडल, (गयचंद्र जैनशास्त्रमाला) खारा कुत्रा, जाहिरा बाजार, बम्बई न. २ -.DI -. -. .
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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