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जीवनकी पहेली
( लेखक-श्री बाबू जयभगवान बी० ए० वकील )
जीवनकी समस्या
इसका क्या कारण है ' ? यह जन्मसमय कहाँ
से आता है ? मृत्युसमय कहाँ चला जाता है ? यह कौन है, जा भीतरमे शोर कर रहा है ? एक
इसका क्या आधार है ? क्या प्रतिष्टा है ? यह ऊधम मचा रहा है ? जो मैं मैं की रटम मतवाला
किसमें रहता है ? किसमें बढ़ता है १ किसमें हो रहा है ? मंग-मंगके प्रपंचमे बावला हो रहा है ?
जीता है ? इसका कौन विधाता है ? कौन जा लेते लेत भी माँगे चला जारहा है ? पाते पाते भी
अधिष्ठाता है ? कौन इसका नियंत्रण करता है ? खोजे चला जारहा है ? मरते मरते भी जीते चला
कौन इसे प्रेरणा से भरना है ? इसके हित-अहितका जा रहा है ? जो कामनाओस उमड़ रहा है ? आशा
निश्चय करता है। इसके कर्तव्य अकर्तव्यका निर्णय ओंम छलक रहा है ? वंदनाओम तड़प रहा है ?
करता है ? कौन इसे गुमराह करता है ? भूलोमें जिसकी किसी तरह भी तृप्ति नहीं, किमी तरह भी .
डालता है ? सुग्वदुःख रूप वर्ताता है ? मारता और पृर्ति नहीं, किसी तरह भी शान्ति नहीं
जिवाता है ? इसका क्या रूप है ? क्या नाम है ? क्या काम क्या यह सब एक निग भ्रम है १ एक खाली है? क्या यह शरीर है या इन्द्रिय ? हृदय हे या स्वप्न है, मिथ्या कल्पनाका पसाग है ? इसकी कोई प्राण ? क्या यह तियेच है या मनुष्य ? पशु हे या सत्ता और वजूद नहीं ? पक्षी ? पुरुष है या स्त्री ? बूढा है या जवान ? काला
[ है या जवान ? काला क्या यह सब कुछ यहच्छा है १ आकस्मिक है या गारा शूद्र हे या ब्राह्मण ? हिन्दू है या घटना है इसका कोई सिर और पैर नहीं यह यों मुम्लिम 'आस्तिक है या नास्तिक ? देवता है या ही आता है, और यों ही चला जाता है ? दैत्य ।
___ क्या यह सब प्रकृति की प्रवृत्ति है ? इसके क्या जागना और सोना ही इसका काम है ? कणोंकी एक गूढ अभिव्यक्ति है ? उसके पचभूतों आहार और निहार ही इसका काम है ? कश्चन और के संमिलनकी एक रासायनिक उत्पत्ति (chemical कामिनी ही इसका काम है १
phenomenon) है ? उसकी व्यवस्थित रचनाकी क्या इनमेंसे यह एक रूप-नाम-कर्मवाला है ? कि कारणं ब्रह्म कुतःस्य जाता जीवाम केन क च संप्रतिष्ठाः। क्या इनमेसे यह सब रूप-नाम-कर्मवाला है ? क्या अधिष्ठिताः केन सुखेतरेषु वर्तामहे ब्रह्मविदो व्यवस्थाम् ॥ इनमेंसे किसी भी रूप-नाम-कर्मवाला नहीं ?
-श्वे. उप० १-१