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एक हजार वर्ष में अपूर्व सुअवसर षटखंडागम (धवल सिद्धान्त)
तथिंकर भगवान की श्रुनांग वाणी से सीधा सम्बंध रखने वाले जैन सिद्धान्त के सब से प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ के दो भाग छप चुके हैं, नीमग छप रहा है और चौथा तैयार हो रहा है ।
शास्त्राकार प्र० भाग
१५॥
पुस्तकाकार प्र० भाग
,
द्वि. भाग
१२)
..
द्वि, भाग
१०
नाट-शास्त्राकार प्रथम भाग की प्रनिया बहन थोदी शग रही है । अनाव दोनो भाग साथ लन वाली को ही मिल मकंगी।
मंत्री श्रीमन्त मठ शिनावगय लक्ष्मीचन्द्र.
जैन माहित्य उद्धारक फंड
अमरावती