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कार्तिक, वीर निर्वाण सं०२४६६]
विविध प्रश्न
annanciati चीरने के कारखानेमें काम प्रारम्भ किया और फिर ही छोटे घरका था और उसका बाप एक छोटी-सी रंलकी लाइनों पर प्लेट रखनेका भी काम किया है। सरायका मालिक था। ___ रूमानियाका श्रेष्ठ प्रधानमन्त्री जनरल ऐवरश्यु बलगेरियाका एक और डिक्टेटर ऐलैग्जैण्डर एक कृषकका लड़का था।
स्टाम् बोलिएकी एक किसानका लड़का था, जिसका रुमानियाका कृषि मंत्री बाई श्रोन मिहिलेच एक छोटा-सा खेत था। कृषकसे अध्यापक बना था। वह उच्च प्रादर्शीका एक लैटवियाका प्रेजीडेण्ट फार्लिस उलमानिस छोटे अग्छा व्याख्याता था।
कुलका है। यह सन् १९३६ से इस पदका कार्य कर रूमानियाका एक और उच्चकोटिका राजनीतिश रहा है। बेटियान एक रेलवे इंजीनियर था ।
___रूसका वर्तमान डिक्टेटर जोसेफ़ स्टेलिन पहले रूमानियामें ही एक पादरी पैट्रीमा क्रिस्टी राज्य- एक समाचारपत्रका काम करनेवाला था। युद्धमन्त्री का कर्ता-धर्ता था और उसकी मृत्यु मार्च सन् १६३६ मार्शल वोरोशिलोफ़ने सात वर्षको अल्पायुमें कोयलेकी
खानमें मजदूरी कमानी प्रारम्भ की थी। उसका बाप जेकोस्लोवेकियाका भूतपर्व प्रधानमन्त्री डाक्टर एक खान खोदनेवाला था । और उसकी माता किसी बेनेस एक किसानका लड़का था और उसने अपने घरमें नौकरनी थी। प्रयत्नसे ही इस उच्चपदको प्राप्त किया था।
समस्त रूसकी पुलिसका अफसर निकोलाई यजोफ़ बलगेरियाका माहीद विधाता स्टाम-बुलौफ बहुत एक कारखाने में पहले मजदूर था ।
विविध प्रश्न प्र०-केवली तथा तीर्थकर इन दोनोंमें क्या अन्तर है ? प्र०--उसे किसने उत्पन्न किया था ! उ.-केवली तथा तीर्थकर शक्तिमें समान हैं, परंतु उ०—उनके पहलेके तीर्थकरोंने ।
तीर्थकरने पहले तीर्थकर नाम कर्मका बन्ध किया प्र०-उनके और महावीरके उपदेशमें क्या कोई है, इसलिये वे विशेषरूपसे बारहगुण और भिन्नता है ?
अनेक अतिशयोंको प्राप्त करते हैं। उ०-तत्त्व दृष्टि से एक ही है । भिन्न २ पात्रको म.-तीर्थकर घम घूम कर उपदेश क्यों देते हैं ? वे लेकर उनकाउपदेश होनेसे और कुछ काल तो वीतरागी हैं।
भेद होनेके कारण सामान्य मनुष्यको भिन्नता उ०-पर्वमें बाँधे हुए तीर्थकर नामकर्मके वेदन- भवश्व मालम होती है, परन्तु न्यायसे देखने ___ करनेके लिये उन्हें अवश्य ऐसा करना पड़ता है। पर उसमें कोई भिन्नता नहीं है। म.-माज कल प्रचलित शासन किसका है? ० इनका मुख्य उपदेश क्या है ? । उ.-श्रमण भगवान् महावीरका ।
उ०-उनका उपदेश यह है कि आत्माका उद्धार करो, प्र-क्या महावीरसे पहले जैन-दर्शन था।
मात्मामें अनन्त शक्तियोंका प्रकाश करो, और उ०-हो, था।
इस कर्मरूप अनन्त दुःखसे मुक कहो।-राजन्य