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अनेकान्त
[भारियन, बीर निर्वावसं०१,
एम. ए., डी. लिट. अंग्रेजीमें भूमिका लिख देनेकी था, अब पाठकोंको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि भी कृपा करेंगे, और भी जो विद्वान इम पुण्य एक मित्र महोदय के अश्वासन पर उसके प्रकाशन कार्यमें किसी भी प्रकारसे अपना महयोग प्रदान का कार्य शीघ्र प्रारम्भ होने वाला है और उसमें करेंगे वह सब सहर्ष स्वीकार किया जायगा और यह खास विशेषता रहेगी कि लक्षणों का हिन्दी में मैं उन सबका हृदयसे आभारी हूँगा । जहाँ जहाँके सार अथवा अनुवाद मा प्रकट किया जायगा, शास्त्र भण्डारोंमें उक्त ग्रन्थोंको प्राचीन शुद्ध प्रतियां जिससे यह महान ग्रन्थ, जो धवला जैजी बड़ो हों अथवा इनसे भिन्न ममन्तभद्र 'जोििद्ध बड़ी चार जिल्दों में प्रकाशित होगा, सभी के तथा तत्वानुशासन' जैसे ग्रन्थ उपलब्ध हो उन्हें लियं उपयोगी साबित होगा- प्रत्यक स्वाध्यायखोज कर विद्वान लोग मुझे शीघ्र ही निम्न पते प्रेमी इस से यथेष्ट लाभ उठा सकेगा- और सभी पर सूचित करनेकी कृपा करें।
मंदिरों तथा लायब्रेरियों में इसका रक्खा जाना
आवश्यक समझा जायगा । इमकी विशेष योजना (२) 'जैनलक्षणावली का प्रकाशन
___ तथा प्रत्येक जिल्द (खण्ड) के मूल्यादि की सूचना जिस 'जैनलक्षणावली' अर्थात् लक्षणात्मक
बाद को दी जावेगी। जैन पारिभाषिक शब्दकोश का काम वीरमेवा मन्दिर में कई वर्ष से हो रहा है और जिसका एक नमूना पाठक अनेकान्त के वीरशामनाङ्क में जुगलकिशोर मुख्तार देख चुके हैं, उसके प्रकाशन का कार्य आर्थिक
अधिष्ठाता 'वीरसेवा मन्दिर, सहयोग न मिलने के कारण एक साल से स्थगित
सरमावा जि. सहारनपुर