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अनेकान्त
[भावण, वीर निर्वाण सं०२१६ दिया कि हम अपनी मर्यादासे बाहर नहीं जा गांधी सेवा संघ क्या करे ? सकते । तुम्हें स्वतन्त्र कर देते हैं । तुम बलवानकी अहिंसाका प्रयोग करनेके लिये स्वतन्त्र हो।" आज तक गांधी सेवा संघने जो काम किया
वह निकम्मा काम था; लेकिन सच्चे दिलसे किया हमारी दुर्बल अहिंसक नीति
था । इसलिये बिल्कुल निष्फल नहीं हुआ। हम आज तक हमने जो अहिंसाकी साधनाकी, गलती कर रहे थे, लेकिन उसके पीछे धोखेबाजी उसमें यह बात रही कि हम अहिंसाके द्वारा अंग्रेजों नहीं थी। फिर भी जो कुछ किया, वह हमारा से सत्ता छीन लेंगे। हम उनका हृदय-परिवर्तन भूषण नहीं कहा जा सकता । आज परीक्षाका. नहीं करना चाहते थे । हमारे दिल में करुणा नहीं मौका आ गया। कांग्रेस महाजन तो उत्तीर्ण थी; क्रोध और द्वेष था । गालियां तो हममें भरी नहीं हुए । अब देखना है, गाँधी सेवा संघ क्या थीं। हम यह नहीं मानते थे कि उनका हृदय कर सकता है ? गांधी सेवा संघके लोग अगर बिगड़ा है, वे हमारी दयाके पात्र हैं । हम तो यही जनतामें अहिंसाकी जागृति कर सकेंगे, तो कांग्रेस मानते थे कि चोर और लुटेरे हैं । इनको अगर के महाजनोंको भी खशी होगी। काँग्रेमके लोग हम मार सकते तो अच्छा होता । इसी वृत्तिसे अगर महाजनोंसे कहेंगे कि आप क्यों कहते हैं कि हमने असहयोग और सवितय भंग किया । जेलमें अहिंसाका पालन नहीं हो सकता; हम तो अहिंसक जा कर बैठे; वहां नखरे किये।
हैं और रहेंगे, तो कांग्रेमके महाजन नाचेंगे । आप
लोग गाँधी सेवा-संघ मानने वाले हैं। आपमेंमें 'अहिंसा के नामका प्रभाव
कुछ काँग्रेसमें हैं, कुछ नहीं हैं। मैं तो वहां नहीं परन्तु इसमें से भी कुछ अच्छा परिणाम निकल रहा । अब जिन लोगोंके नाम कांग्रेस के दफ्तरमें
या । अहिंसा हमारी जबान पर थी। उसका दर्ज हैं, वे अगर अहिंसक हैं तो उन्हें कार्य-समिति कुछ शुभ परिणाम हुआ। थोड़ी-बहुत सफलता से कहना चाहिये कि हम अहिंमामें ही मानते हैं । मिल गयी। राम नामकं विषयमें हमने सुना है कि लेकिन यों ही कह देनेसे काम नहीं चलेगा। आपके राम नामसे हम तर जाते हैं, तो फिर स्वयं राम दिलोंमें सच्ची अहिंसा होनी चाहिये । इस तरह ही भाजावे तो क्या होगा ? अहिंसाके नाम ने भी की अहिंसा अगर कांग्रेस सदस्योंमें है, तो आल इतना किया; तो फिर अगर दर असल हममें सभी इन्डिया कांग्रेस कमेटीमें वे कहेंगे, कांग्रेसका महिंसा पा जावे, तो हम आकाशमें उड़ने लगेंगे। अधिवेशन होगा, उसमें भी कहेंगे कि हम तो जो शक्ति हिटलरके हवाई जहाजोंमें नहीं है, वह अहिंसक हैं । जब तक आप समझते हैं कि आप उड़नकी शक्ति हममें होगी। हमारा शब्द आकाश का अहिंसाका द् कांग्रेसमें चल सकता है, तब गंगाको भी भेदता हुमा चला जायगा। यह जमीन तक वहाँ रहें, नहीं तो निकल जायें । कांग्रेसका आसमान हो जायगी।
धर्म एक रहे और आपका दूमरा, इससे कार्य नहीं