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P-wrLAMIN 3 दीपक के मतिर
4.warrioriAT तुम अन्धकार को हरने,
तुम धीर तपस्वी बनकर, जीवन-घट मरने आये।
चुपचाप बले जाते हो। या इस निराश जीवन में,
या मृल्य मूक सेवा का, भाशा के मरने लाये ॥
सचमुच तुम प्रगटातेहो॥ प्रेमी पर बलि हो जाना,
किस्मत में तेरी दीपक, परवानों को सिखलाया।
क्या जलना ही जलना है। सच्चा गुरू बन कर पहले
या पर हित जलने में हीतन अपना अहो जलाया ।
सुख का अनुभव करना है। सूरज को तुमसे ज्यादह,
परहित सर्वस्व लुटाते, तेजस्वी कैसे माने ।
जग कहता तुम्हें दिवाना। वह अन्त तेज का, तुमको,
पर तुमने ही रातों कोप्रारम्भ तेज का जाने ॥
है दिवस बनाना जाना ॥ यदि मौत खड़ी हो आगे,
दीपक की नहीं शिखा यह, क्या बात भला है ग़म की।
है बीज क्रांति का प्यारा। देखो, इस दीप-शिखा को,
जो बढ़कर जला सकेगा, जलकर सोने सी चमकी ॥
जुल्मों का जङ्गल सारा॥ प्याले का मघु पी करके,
है तेल जहाँ तक पाकी, तुम हँसते अजब हँसी हो।
तब तक तुम बले चलोगे। कैसे हँसना है भाता?
तनमें ताकत है जब तक, जब देह कहीं झुलसी हो॥
परहित में बढ़े चलोगे॥ "विघ्नों की आंधी में भी,
आँधी का झोका भाकर, हँसना सीखो तुम पाणी।"
चाहे तो तुम्हें बुझादे। यह शिक्षा देते सब को,
पर जीते हुए तुम्हारे, दीपक ! तुम परे ज्ञानी ॥ ___प्रय को कैसे तुड़वादे ॥
Mumritariary
२०-श्री रामकुमार 'स्नातक' SWIWIKIWLIN? हे दीपदेव ! भारत के आंगन में खुलकर चमको । जीने, मरने का सच्चा कुछ भेद बतादो हमको ॥ हम अपने लघु जीवन का कुछ मूल्य आँकना सीखें। दीपकसे मरने में जीवन-झांकी का दृश्य झांकना सीखें।
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