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________________ छोटे राष्ट्रोंकी युद्ध-नीति (लेखक-श्रीकाका कालेलकर) चेन्टलरने कितना बड़ा अत्याचार किया है। इसीको प्रतिध्वनित करते हुए कहते हैं. Woe to wygoala anca por HUT the small nationalities that dreum उस देश पर उसने कब्जा कर लिया! नार्वेके लोगों of an independent existence.'( जो छोटे का कुछ भी कसूर नहीं था। उनका दोष एक ही छोटे देश आजाद रहना चाहते हैं उनकी कला है!) था कि वे पागल होनेसे इनकार करते थे। उनका हम भी जग अपने देशका इतिहास देखें। तटस्थ रहना न इंगलैंसको पमन्द था, न जर्मनी प्राचीनइतिहास नहीं, अंग्रेजोंके बागमनके बादका । को। जबरदस्त लोगोंका एक मिद्धान्त अंग्रेजीमें अंग्रेजों को अपनी फौज सिंधमें से लेजानी बहुत सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया गया है -- थी। सिद्ध मीरोंका स्वतंत्र मुल्क था। अंग्रेजोंको 'Those who are not with um, nre अपनी फौज सिंघमें से जाने का कोई अधिकार against us' (जो हमारे साथ नहीं हैं वे हमारे नही था । सिंधके मीरोंन अंग्रेजोंका कोई भी खिलाफ हैं । ) सत्ताभक्त इसीमें थोड़ा सुधार नुकसान नहीं किया। उन्होंने अंग्रेजोंसे कहा, करके कहते हैं-"Those who sure not under 'तुम्हारे झगड़में हमें नहीं पड़ना है। हमें तटस्थ us, uro ngninst us." (जो हमारे काबूमें नहीं ही रहना है। किन्तु अंग्रेजोंको अपनी फौज हैं वे हमारे दुश्मन हैं।) नार्वेक कठिन काल में लेही जानी थी उन्होंने कहा कि, 'अगर तुम भी चर्निल साहब उसकी हंसी करनेसे बाज नहीं हमारी आक्रमणकारी नीति में मदद नहीं करते, आए। आप कहते हैं कि 'हम जब कहते थे, तो तुम हमारे दुश्मन हो' अंग्रेजोंने सर चार्लस् तब तुम हमारे साथ नहीं हुए। तुमने तटस्थ रहना मंजूर किया । अब भुगतिये उसका फल !" नेपीयरको हुक्म दिया कि वह सिंधपर धावा बोलदे हिटलर भी उनसे कहता होगा, "तुम्हारा तटस्थ और उम सूबेपर हमेशाके लिये कब्जा भी करले । रहना हमारे लिये खतरनाक है। तुम तटस्थ रह अगर अंग्रेज जबरदस्ती अपनी फौज लेजाते हो नहीं सकते। इगलैंड आत्म-रक्षाके लिये तुम और सिंधके मीरोंसे कहते, 'माफ कीजिये, राजपर आक्रमण किये बिना नहीं रह सकता। देखो. नीतिमें न्याय-अन्याय हमेशा नहीं देखा जा ये सुरङ्ग तुम्हारे समुद्र में वे बोने लगे हैं। कहीं सकता। हमने जबरदस्ती तो की, किन्तु अब रही तुम्हारी तटस्थता ? यह दुनिया या तो ईश्वर हमा हमारा काम हो चुका है। आपका सिंध हड़प की रहे या शैतान की। इसमें तीसरा कोई भी करनेका हमें कोई कारण नहीं है। आप अपने रह नहीं सकता । या तो हमारे अधीन हो जाओ, देशमें अमन-चैनसे राज कर सकते हैं'-ता भी या फिर हमारे विरोधमें हो रहो।" हम उनकी बात समझ सकते। लेकिन बहाना तमाम दुनियाका शस्त्रवाद एक मुखसे मिलते ही--बल्कि असल बात तो यह थी कि कहता है, 'Woo to the mitries ! (तटस्थोंका बहाना नहीं; वरन मौका मिलते ही-सर चार्लस्, बुरा हाल है !) और दुनियाभर के तानाशाह नेपीयग्ने सिंधपर कब्जा कर लिया। पेचारा
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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