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________________ ११८ अनेकान्त [फाल्गुन, वीरनिर्वाण सं०२४६६ गया त्योहार एम्पायर डे (साम्राज्य दिवस) स्थापित जीवित रखना उसका कर्तव्य है। मानों हमारे बच्चे बनेकी सम्मति जो विक्टोरियाके जन्मके दिन मना- उत्पन होते ही जातीय इतिहासमें भाग लेने वाले बन पा जाता इसका अभिप्राय कि बसोंको ब्रिटिश जाते हैं। और यद्यपि अभी तुतलाना भी नहीं सीखा, साम्राज्यकी भोर भपने कर्तव्यका स्मरण रहे। तो भी चुपचाप जातीय, प्रतिष्ठाको प्रकट करते हैं । क्यों (२) शहरों, बाजारों और अन्य स्थानोंकानाम न हो; इतिहास उन्हींकी तो बपौती हैं । जो कुछ बुजुर्गों हुजुर्गों के नाम पर रखना । यह रिवाज सारे संसारमें ने कमाया था और जो कुछ हमने प्राप्त किया है, सब पाई जाती है। पेरिसमें सारे शहरमें नेपोलियनका नाम उन्हींके लिए है, और किसके लिए है? गंजता है। उसकी बिजय जयन्तियोंकी तारीख हर (५) पाठशालाओंमें शिक्षा-पहले सभ्य गली-करकी दीवारों पर लिखी हुई है। यहाँ नककि जाति बच्चोंको पाठशालाओं में अपना इतिहास सिखाती जिन तारीखोंपर कोई प्रसिद्ध जातीय घटना हुई है, है और उमको रोचक बनानी है महापुरुषों के चित्र उनको भी किसी जगहका नाम बना दिया है. मसलन उसमें लगाती है। देशभक्तिपर्ण कविताएँ पढ़ाई जाती एक गली और स्टेशनका नाम " मितम्बर" है। पहले हैं। पहल मैं चकित रह गया कि यह क्या मामला है। (६) कवियोंकी वाणी-जब कोई कवि कलम पह " सितम्बर क्या वन्तु है ? किन्तु मालूम हुआ कि लेकर बैठना है, तो वह बहुधा महापुरुषोंकी गाथा इसी प्रकार १४ जुलाई भादि नाम भी हैं। लन्दनमें सुनाना है। जानीय इतिहासके अगणित आकर्षक दाफलगर चौक, वाटरलू स्टेशन इंगलिस्तानकी जन दृश्य, जानीय सूरमाओंके कारनामे, जातीय अस्तित्व और थन शक्तिकी यादगारें हैं। फाँसके कोई कोई जहाज़ और उन्हीं के लिए प्रयत्नोंका कथाएँ, ये सब उसकी फाँसके विद्वानों के नाम पर हैं। आँखों में फिरती हैं और उसकी जिव्हाको पाचन शक्ति (३) खास तौर पर मुनि या मकान बनाना- प्रदान करनी है:मूर्ति सदासे बुजुर्गोंकी यादगार स्थापित करनेका अच्छा बैठे तनरे तवाको जब गर्म करके मीर, तरीका चला पाया है। अतः लन्दन और पैरिममें मूतियोंसे बड़े मन्दिर बन रहे हैं । पेरिममें लथर अजायब कुछ शीरमाल सामने कुछ नान कुछ पनीर । घरकी छतपर सैंकड़ों मूर्तियाँ बराबर बराबर लगाई गई जातीय इतिहासकी सैकड़ों कथानों में से कोई हैं।मानों वे पत्थरकी शक्लें अपने बच्चोंके कारोबार फड़कती हुई कहानी कह डालता है और जातिको मदा प्रेम भरी रष्टिमे देख रही हैं । जन्दनमें प्रत्येक पग पर के लिए अपना प्रेमी बना जाता है। किसी न किसी महापुरुषको मुनि दिखलाई पड़ती हैं। (७) इनिहाम विद्या विद्वानोंकी महायतामानों हर गली में जानीय इज्जतका चौकीदार खड़ा है। प्रत्येक नीवर्सिटी (farai ततका चौकीदार खड़ा है। प्रत्येक युनीवर्सिटी (विश्वविद्यालय ) में कई प्रोफेसर एस्वर्ट की स्मृतिमें एक बड़ा ही शानदार मकान बनाया (शिक्षक) होते हैं, जो इतिहासके अध्ययनमें लगे गया है और नेपोलियनका मकबरा प्रेरिसमें एक देखने रहते हैं; और जातिको अपनी जानकारीसे लाभ पहुँयोग्य वस्तुहै। चाते हैं। वे दिन-रात परिश्रम करते हैं और जातीय (४) वकचोंके नाम रखना-जाति अपने मकानों इतिहासके सम्बन्ध छाम बीन और अन्वेषण करने में और बाजारोंको महापुरुषों के नामसे पवित्र करती संबग्न रहते हैं । * (चाँदमे उद्धत ) है, तो क्या अपने प्यारे बच्चोंको, जो उसकी सबसे बड़ी सम्पत्ति है, इस भाशीर्वादसे वन्चित रख सकती है? * अनुवादक-श्री नागयणप्रमाद अरोड़ा, बी० प्रत्येक जाति अपने बचोंको के नाम देती है, जिनका ए. भूतपर्व एम० एल० सी०
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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