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________________ वर्ष ३, किरण जातियाँ किस प्रकार जीवित रहती हैं। इस प्रकार हमारा दैनिक जीवन कटकाकीर्यो जातिका मम प्रथाएँ और विशेषताएँ तोताचश्म है। जायगा । क्योंकि हमको अपने जातीय चाल-डाल जो आज समतिका कारण है, कस वही हानिकारक प्रेम न रहेगा। फिर इसको अपने दस्तुर और नियम प्रमाणित हुई हैं। एक समय जातिको विजय दिखाती पीजड़ेकी तीलियाँ दिखाई देने लगगी, जिनसे हम हैं, दूसरे अवसर पर उसको नीचा दिखलाती है। पड मारते-मारने घायल हो जाएंगे। किन्तु जातीय इतिहास वह वस्तु है, जो हमेशा मूल्य जातीय इलिहान ऐक्यका द्वारहै रखता है। यह कमा जातिको किसी प्रकारकी हानि धाज कल एकना की बी धम है । कौवों की सी नही पहुँचा सकता। हमेशा सदाचरण और एकना कार्य-काय सब पर हो रहा है। शायद यह पाशाहै सिखाता रहता है। अतः हम देखते हैं कि जातिको कि कौवों का सा एका उनकी तरह शोर मचाने में हो समस्त बातं बदलती रहती हैं, बल्कि समय मजबूर जायेगा । कोई कुछ प्रस्ताव पेश करता है, काई कुछ करता है कि जाति उनको बदलती रहे। किन्तु जातीय उपाय बतलाता है। वास्तव म जानीय इतिहास ही इतिहास उन सब रिवाजोंके मोतियोंको जो किसी एकना की बड़ा कुजी है क्योंकि जाति के कारनामों समय जानिक प्रिय पात्र रहे हों, एक नदी में गंथकर एक और संस्थाओं में सबका भाग है। सबको वे जान से ऐसी माला बनाना है, जिसका पहिनना बच्चेका प्र. प्यारे हैं। आज कुछ भी झगड़ा टण्टा हो, थोकबन्दियाँ धिकार और कर्तव्य है और जिसमे जातिकी मानसिक हों, परन्तु स्योहारके दिन सब भेद भाव भल जाते हैं। और नैतिक उमतिका पता चलता है। बुजुर्गों का नाम लेकर सब गाने मिलते हैं और जातीय अतः जातीय इतिहास ही जातिके व्यक्तियोंको उत्थानकी मन-मोहक कहानियाँ सुनकर, सुनाकर खुशी मिला सकना है। क्योंकि बुजुर्गों में किसको दुश्मनी है? में फूले नहीं समाते हैं। जातीय महापुरुषोंका नाम अापसमे कितना ही लई, श्राबूके दिन नो मब सम्ब मदेव जानिक समस्त दलोंको प्रिय होता है और वाम्त न्धी जमा हो ही जाने हैं। जातीय इतिहास यह स्मवमं देखो तो जातीय इतिहास ही जानीय प्रतिष्ठाका रण करता रहता है कि तुम वास्तवमे वही हो, जो पहले चिन्ह है । जानिम प्रत्येक वस्तु परिवतिन होती रहती ऐसा ऐसा करते रहे । तुम्हारे विकासका मूल वही है। है। समय मारी प्रथायोंको कुछका कुछ कर दिखाना तुम पर यह बीती है । तुमने अमुक-अमुक काम किये है। वस्त्र, भोजन, भाषा, सब बातों में थोडा थोडा हेर- हैं। ये सब बानं जानिक प्रत्येक मनुष्य पर मही उतरती फेर होता रहता है। धर्म कान्नि उपस्थित हो जानी । वह अपने वंश, अपने धर्म, अपने रिवाजों और है। इंगलिस्तान जो अाज रोमके नामय चिढ़ना है, प्रथाश्रमे इन्कार नहीं कर सकता। अतः जिम जाति कद-सौ वर्ष पहले रोम धर्मका अनुकरण .रने वाला का इनिहाम जीवित है, वह कभी भीतरी भगदोंमे था । अब अंग्रेज गापार. शिल्प और कला-कौशलम नष्ट नहीं हो सकती। जीविका कमाने हैं। सारा देश एक भट्ठी बना हुआ है इमलए सभी जातियाँ अपने इतिहासको जीवित भनकाल में खेतीय पेट भरते थे। सारा देश ग्वाम लह- रखना अपना धर्म समझती। बजगोंकी यादगार लहाता था। साराँश यह कि यदि अंग्रेजोंके पित्र अब कायम करने को मुख्य कर्तव्य खयाल करता है। निम्न वापिस आयें तो. अपनी सन्तानको पहचान भी नहीं लिखित उपायोसे इतिहासका ज्ञान फैलाया जाता है:सकते । अतः वह क्या वन्तु है, जिसमे यह विचार (१) त्योहारकं दिन जानिक इतिहासमें मुबा. बना रहता है कि हम एक जाति हैं और सदास रहे हैं? रक हैं-उनके माने पर खुशी मनाना जातीय इतिहास बासीय शक्तिकी वृद्धि करना हमारा कर्तव्य है। केवल सिखानेका संगम मार्ग। जेसे अमेरिका और फांसमें जातीय इतिहाससे यह भावना बनी रहती है। जाति स्वाधीनताके पाम्दोलनकी सफलताको यादगारमें रखा. की पविक संस्थानोंमें इतिहास मटन संस्था है। ईमें स्योहार मनाया जाना है। इंगलिस्तान में अब एक
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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