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________________ वीर-सेवा-मन्दिरको सहायता हालम वीरमंबामन्दिर मरमावाको २०) २८ की महायता निम्न मन्जनोंकी ओरसे प्राप्त हुई है, जिमकं लिय दातार-महानुभाव धन्यवादकं पात्र हैं: ५) पं० वन्शीधर जी जैन व्याकरणाचार्य बीना जि० मागर ५) ला० वन्शीधर मुमंग्चन्द जी जैन, बैलनगंज, आगरा ( चि० प्रतापचन्दकं विवाहकी खशीम) ५) दिगम्बर जैन समाज, पानीपत (दशलक्षण पर्व पर दानमें निकाली हुई रकममेंसे) ५) या- मुख्नारसिंहजी जैन बी. ए. मी. टी. अमिन्टेंट माम्टर गवर्नमेंट हाई स्कूल, मुजफ्फर नगर (माताजीक स्वर्गवासके उपलक्षम निकाले हुए दानमें मे)। २० अधिष्ठाता वीर-संवा-मन्दिर मग्मावा जि० महारनपुर महावीर सरल-जैन-ग्रन्थमाला, जबलपुर बालकां का मचित्र हिन्दी मामिक पत्र है। की ही पुस्तके आज प्रायः मभी जैन स्कूलों और इममें हिन्दी मंमारके सुप्रसिद्ध लग्यकों और सिद्ध लम्बका आर पाठशालाओं में पढ़ाई जाती हैं। पुस्तके मँगात कवियोंकी मुन्दर रचनायें रहना हैं । बालकोपयोगी ममय ध्यान रखियं कि वे 'मरल जैनग्रन्थमाला' रोचक और अनठी गापा पुम्नकांक लग्यकों को ममुचित पुरस्कार दिया जाना है। द्वारा प्रकाशित हैं। १०) की पुस्तके मँगाने पर "महावीर"बालमामिक पत्र माल भर विना मूल्य आज हो ग्राहक धनिये । वार्षिक मृल्प मवा मिलेगा। रुपया और एक प्रनिका दः श्राना । पना-महावीर, जबलपुर आज ही आर्डर भेजिये।
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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