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________________ Regd. No. L. 4328 अनुकरणीय गत वर्ष कई धर्म-प्रेमी दातारोकी श्रोग्से १२१ जैनंतर संस्थाको अनेकान्त एक वर्ष तक भेट स्वरूप भिन्ावया गया था। हमें हर्ष है कि इस वर्ष भी भेंट स्वरूप भिजवाते रहनेका शुभ प्रयास हो गया है। निम्न मनकी ओर जैनंतर संस्थाओं को भेंट स्वरूप अनेकान्त भिजवाया गया है। अनेकान्त पर हुए लोकमतमं ज्ञात हो सकेगा कि अनेकान्त के प्रचारकी कितनी श्रावश्यकता है। जितना अधिक अनेकान्तका प्रचार होगा उतना ही अधिक मत्य शान्ति और लोक हितैषी भावनाओं का प्रचार होगा । अनेकान्तको हम बहुत अधिक सुन्दर र उन्नतिशील देखना चाहते हैं। किन्तु हमारी शक्ति वृद्धि हिम्मत सब कुछ परिमित हैं | हमें समाज हितैषी धर्म बन्धुयों के सहयोग की अत्यन्त आवश्यकता है। हम चाहते है समाज के उदार हृदय बन्धु जैनंतर संस्थायां और विद्वानोको प्रचारकी दृष्टि अनेकान्त अपनी ओर से भेंट स्वरूप भिजamar जैन को अनेकान्तका ग्राहक बनने के लिए उत्पादित करें। ताकि अनेकान्त कितनी ही उपयोगी पाठ्य सामग्री और पुष्ट संख्या बढ़ाने में समर्थ हो सके। लड़ाईकी ने जीके कारण जबकि पत्रीका जीवन क हो गया है, पत्रीका मूल्य बढाया जा रहा है। तब इस मंहगी जमाने में भी प्रचारकी हटिकेल ३) ८० वार्षिक मूल्य लिया जा रहा है। इस पर भी जैनंतर विद्वान शिक्षण सस्थाओं और पुस्तकालयों में मेट स्वरूप भिजवाने वाले दानी महानुभावांस ढाई रुपया वार्षिक ही मूल्य लिया जायगा । किन्तु यह रियायत केवल जनर संस्था के लिये अमूल्य भिजवाने पर ही दी जायेगी। समाज में ऐसे १०० दानी महानुभाव भी अपनी ग्राम सौ-सौ पचास वाम अथवा यथाशक्ति भेंट स्वरूप भिजवानेको प्रस्तुत हो जाएँ तो 'अनेकान्त' ग्राशातीत मफलता प्राप्त कर सकता है। जैनतम अनेकान्त जैसे साहित्यका प्रचार करना जैनधर्म प्रचारका महत्वपूर्ण और सुलभ साधन है । मेठ गुलाबचन्द जी टोंग्या, इन्दौर की ओर से— १. मंत्री शान्ति निकेतन पुस्तकालय बोलपुर (बंगाल) २.,, हिन्दू यनिवर्सिटी ३.,, दीदिन्दुस्तान एकेडेमी बनारस इलाहबाद " , श्री नागरी प्रचारिणी मगा, बनारस ग्वालियर ५. विक्टोरिया कालेज " ६. गुजरात कालज 19, मद्राम यनिवर्सिटी 99 मोरिस कालेज ६.,, कलकत्ता यूनिवमिंटी 39 17 99 ་་ " " " ܕ वीर प्रेम ऑफ इण्डिया, कनाट मर्कस, न्य देहली ओरिएंटल काले लाहौर रोडमल मेघराज जैन सुमारीकी ओरसे - 24 अहमदाबाद १५. मद्राम नागपर कलकत्ता " ११. मत्री पनि लायब्रेरी जड़ (बड़वानी) १२. श्रीकृष्ण पब्लिक वाचनालय बड़वानी १३. पब्लिक लायब्रेरी धार " श्री महावीर वाचनालय सुमार्ग (इन्दौर) वाचनालय मनावर (ग्वालियर स्टेट) ला ज्योति प्रसादजी जैन, मेरठ की ओरसे - १६. मंत्री श्रीवीर पस्तकालय, मंस्ट DADAUROROADKURDUROK₹ -व्यवस्थापक
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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