SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॐ अहम् पाmuuuILI 24 MARATION ITAMIK - नीति-विरोध-धंसी लोक-व्यवहार-वर्तकः सम्यक। नाता 17 परमागमस्य बीजं भुवनैकगुरुर्जयत्यनेकान्तः ॥ वप २ सम्पादन-स्थान--वीरसेवामन्दिर (समन्तभद्राश्रम), सरसावा जि. सहारनपुर प्रकाशन-स्थान-कनॉट सर्कस पो० ब०नं०४८ न्यू देहली कार्तिकशुक्ल, वीरनिर्वाण सं० २४६५, विक्रम सं० १६६५ किरण १ marrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr? समन्तभद्र-स्मरण येना शेष-कुनीति-वृत्ति-सरितः प्रेक्षावतां शोषिताः, यद्वाचोऽप्यकलंकनीति-रुचिरास्तत्त्वार्थ-सार्थद्युतः । स श्रीस्वामिसमन्तभद्र-यतिभृदभूयाद्विभुर्भानुमान, विद्याऽऽनन्द-घनप्रदोऽनघधियां स्याद्वादमार्गाग्रणीः ॥ जिन्होंने परीक्षावानोंके लिये सम्पूर्ण कुनीति और कुवृत्तिरूपी नदियोंको सुखा दिया है, जिनके वचन निर्दोषनीति-स्याद्वादन्याय-को लिये हुए होनेके कारण मनोहर हैं तथा तत्त्वार्थसमूहके द्योतक हैं वे यतियोंके नायक, स्यद्वादमार्गके नेता, विभु-सामर्थ्यवान् और भनुमान-सूर्यके समान देदीप्यमान अथवा तेजस्वी-श्री समन्तभद्रस्वामी कलुपित-आशय-रहित प्राणियोंको-सजनों अथवा सुधीजनोंकोविद्या और आनन्दघनके प्रदान करनेवाले होवे-उनके प्रसादसे (प्रसन्नतापूर्वक उन्हें चित्तमें धारण करनेसे )सबोंके हृदयमें शुद्धज्ञान और आनन्दकी वर्षा होवे ।
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy