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________________ अनेकान्त [श्राश्विन, वीर-निर्वाण स०२४६५ खत्म हो चुकी वह !' कापालिकने दृढ़ता पूर्वक कैसा वीभत्स-दृश्य था-- प्रकट किया ! कल्पनासी कोमल-शैय्या पर कनकश्रीका खण्ड 'बेटा...?' खण्ड हुआ शरीर ! रक्तसे ओत-प्रोत वस!... 'मा!' बुढ़ियाका हृदय फटने लगा। क्षणभर पहिले'तुम कितने अच्छे हो, मैं तुम्हारी प्रशंसा नहीं कर को 'खुशी' अब 'रंज' बन गई थी ! उसके भावों पा रही!' x x x की विषमताका अन्दाजा लगा सकना और भी कठिन था-अब! बुढियाके हर्षोन्मत्त-मनकी दशाका चित्रण करना दूसरेके लिए बोये हुए कांटे अपने ही पैरोंमें दुरुह था ! वह अपने पापेको भूली जा रही थी! चुभे ! नारायण पर चलाये जानेवाले चक्रने अपना नरक-कीटको जैसे स्वर्गमें स्थान दे दिया गया हो, ही सर्वनाश किया। स-शरीर! बन्धुश्रीके उतंग-रोदनसे भवन प्रकम्पित हो __ प्रभातकी प्रतीक्षामें-उत्कटप्रतीक्षामें-एक- गया । राज-कर्मचारियोंने दरयाफ्त किया ! तो... एक पल बिताना शुरू किया-बुढ़िया ! सोचने बुढ़ियाकी बूढ़ी दुष्टताने जहर उगलालगी-'चलो, काँटा दूर हुआ कनकश्री सुखी 'ऋषभदास और जिनदत्ताने मेरी प्यारी पुत्रीरहेगी-अब !' को मार डाला, हत्या कर डाली उसकी !' काश ! इन्हीं शब्दोंकी कोई उसे यथार्थता -और वह थे दोनों इस समय देवालयमें, बतलाता ! कनकश्री सुखी रहेगी ? हाँ, सुखी ईश्वराराधनामें तत्पर ! दुर्घटनासे अविदित ! रहेगी ! जहाँ भी रहेगी, इस घातक-ईर्षा-आगसे अलग !... हत्याका अभियोग ! वह भी साधारण नागआखिर नियतिके बन्धनने प्रभातको ला रिकके यहां नहीं, एक धन कुबेरके विलास गृहमें ! ढकेला ! जैसे ही उषाकी सौन्दर्य-लालिमाने पृथ्वी महाराजने आज्ञा दीको क्रीड़ा-क्षेत्र बनाया, बन्धुश्री अपनी पुत्रीको 'जिनदत्ता और ऋषभदासको दर्बारमें हाजिर सुख-सन्देश और अपनी प्रतिज्ञा-पूर्तिकी बात किया जाए।' सुनाने चल पड़ी! आज्ञा-पालनके लिए अबिलम्ब सैनिक-दल __शयनागारके दर्वाजेतक बुढ़ियाके हृदयमें हर्ष, चला !:देवालयकी ओर ! मुख पर प्रसन्नता और बाणीमें उमंग भरी हुई लेकिन ?थी ! लेकिन जैसे ही चौखटके भीतर कदम रखा आश्चर्य !!! कि सब अन्तर्ध्यान ! एक भी बलवान-सैनिक देवालयकी सीढ़ी तक ____ 'यह क्या हुघा रे ?-वेतहाशा चिल्ला कर पर पैर न रख सका ! सब, ज्योंके त्यों कीलित ।... रोने लगी! देव-माया !!!
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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