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वर्ष २, किरण १.]
दिगम्बर-श्वेताम्बर-मान्यता भेद
५१
होना
३७ महावीरस्वामीको तेजोलेश्याका उपसर्ग, ६१ चक्रवर्तीका ६४ हज़ार रूप धारण कर सब पस्नियों.. ३८ महावीरके जन्माभिषेकमें मेरु-कम्पन
__ से संभोग ३६ महावीर स्वामीका गर्भ में अभिग्रह करना ६२ गंगादेवीसे भरत चक्रवर्तीका संभोग..... .. ४० महावीर-वंदनार्थ चंद्र-सूर्यका मूल विमानसे आगमन ६३ यादव मांसभक्षी भी पे ४१ महावीर विवाह, कन्या जन्म, जामाता जमालि ६४ उत्कृष्ट १७० तीर्थकर एक समय होते हैं .. ४२ महावीर-समयमें चमरेन्द्रका उत्पात
६५ बाहुबलिको ब्राझी सुन्दरीके वचन श्रवणकर कैवल्य ४३ २५।। आर्य देश ४४ महावीरका विद्यालय महोत्सव
६६ नाभि-मरुदेवी युगलिक थे। ४५ महावीरको छींक आना
(२) वे बातें जिन्हें दि० मानते हैं श्वे. ४६ ऋषभदेवका युगलिक रूपसे जन्म
नहीं मानते४७ साधुकी आहारादि विधिमें भिन्नता
६७ चौबीस काम पदवी ४८ आदीश्वरका ४ गुष्टि लोच.
६८ युगलिक एवं केवलियोंके शरीरका मृत्यु अनन्तर ४६ तीर्थकरके स्कंध पर देवदुष्य वस्त्र
करादिके समान उड़ जाना बिखर जाना ५० स्नात्र महोत्सवके लिये इन्द्रका रूप धारण करना
६६ विभाग नं.१ की बातोंका विपरीत रूप; जैसे दि. ५१ तीर्थंकरोंका संवत्सरीदान
नम्नावस्थाके बिना मोक्ष न हो, स्त्रीको मोक्ष व ५२ मरूदेवीका हाथी पर चढ़े हुए मोक्ष जाना .
पंच महाव्रत न हो इत्यादि । एवं न०(१) विभाग ५३ कपिल केवलीका चोरके प्रतिबोधनार्थ नाटक करना
योग्य और भी उनके साधारण भेद लिखे मिलते हैं ५४ लब्धि संपन्न मुनि एवं विद्याधर, मानुषोत्तर पर्वतके
जिनका समावेश ऊपरकी बातों में ही होजाता है। आगे भी जावें।
अतः व्यर्थकी पृष्ठ एवं नम्बर संख्या बढ़ाना ५५ ऋषभदेवादि १०८ जीव एक समयमें मोक्ष गये ।
उचित नहीं समझकर उन्हें छोड़ दिया गया है। ५६ साधु अनेक घरोंसे मिक्षा ग्रहण करें। ५७ ऋषभदेवजीका बाल्यावस्थासे दीक्षा तक कल्प
(३) वस्तुकी मान्यतामें तारतम्य भेदवृक्षोंके फलोंका आहार
बस्तु . श्वेताम्मरमान्यता विगम्बर मान्यता ५८ बाहुबलि-देहमान ५०० धनुष्य
७. स्वर्ग संख्या १२ १६. ५६ त्रिपृष्ट वासुदेव बहिन की कुक्षिसे उत्पन्न हुए ... ७१ इन्द्र संख्या ६४ १०. ६० भावकोंके व्रतोंमें ६ षंडी आगार .. . ७२चक्रवर्तीकी स्त्री
..
. संख्या ६४ हज़ार. १६ हजार पडमचरिब' के तृतीय पकी पी गावाके......... निम्न अपमें पंच मुहि खोंचरना लिसा -
दिगम्बर सिंहनन्दी भाचार्यने, रामसिन "सिखाई गधार या पंचमुहि बो। स्वर्ग:वा दी है, इससे दिगम्बर-सम्मान ,
" -सम्पादक संख्याका सर्वका एकान्त नहीं है। सम्पादक