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अनेकान्त
आगे कहिडा और कलिकुंड पार्श्वनाथके विषयमें लिखा है कि उनकी महिमा श्राज मी अखंड है। दिवालीके दिन ब्रह्मादिक सारे देव श्राकर प्रणाम करते हैं। इसके बाद कुछ स्थानोंके नाम मात्र चारणगिरि,
दिये हैं
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नवनिधि',
लोग बहुत है ।
फिर स्याहगढ़, मूगी पठाण के नाम मात्र हैं । पईठाणमें वाण गंगाके किनारे जीवित स्वामी मुनिसुव्रतकी प्रतिमा प्रकट हुई । यहाँ सिद्धसेन दिवाकर और राय - हरिभद्रसूरि हुए । कविजनोंकी माता भारती भद्रकाली देवी दीपती है !
आगे किसनेर, दौलताबाद, देवगिरि, श्ररङ्गाबाद के नाम मात्र देकर इलोरिके' विषयमें लिखा है कि देख कर हृदय उल्लसित हो गया। इसे विश्वकर्माने बनाया है । फिर इमदानगरि, १° नासिक, त्रंबक और तुंगगिरिका उल्लेखमात्र करके दक्षिण यात्रा समाप्त कर दी हैदष्यिणदिसिनी बोली कथा, निसुणी दीठी जेमि यथा ।”
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पं० के० भुजवलि शास्त्रीने इस लेख के कई स्थानोंका पता लगाने में सहायता देनेकी कृपा की है ।
बाग, हुकेरी |
इस तरफ पंचम, वणिक, छीपी, कंसार, वणकर " और चतुर्थ जातिके भावक हैं। ये सभी दिगम्बरी हैं, पर एक साथ भोजन नहीं करते। शिवाजीके मराठा राज्य के अधीन हैं । तुलजा देवीकी सेवा करने वाले
[ वैशाख, बीर निर्वाण सं० २४६५
१ जान पड़ता है 'नवनिधि' पाठ भूलसे छप गया है । 'तवनिधि' होगा। यह स्तवनिधि तीर्थ है जो बेलगाँवसेरे और निपाणी ३ मील है । द०म० जैनसभाके जल्से अक्सर यहीं होते हैं ।
२ कोल्हापुर राज्यके एक जिलेका सदर मुकाम । ३बेलगाँव जिलेकी चिकोड़ी तहसीलका एक कस्ब ४ शिंपी या दर्जी । ५ बुननेवाले ।
६ शोलापुरसे २८ मीलकी दूरी पर तुलजापुर नामका कस्बा है, उसके पास पहाड़की तलैटीमें तुलजादेवीका मन्दिर है । वहाँ हर साल बड़ा भारी मेला लगता है।
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७ प्राचीन प्रतिष्ठानपुर और वर्तमान पैठण निजाम राज्यके औरङ्गावाद जिलेकी एक तहसील | विविध तीर्थकल्प के अनुसार यहां 'जीवंतसामि- मुखि सुब्वय' की प्रतिमा थी ।
८ औरङ्गाबादके पासका कचनेर है ।
६ एलोरा गुफा मन्दिर ।
१० अहमदनगर ।
सुभाषित
'संसार भर के धर्म ग्रन्थ सायवक्ता महात्मानोंकी महिमाकी घोषणा करते हैं।'
'अपना मन पवित्र रक्खो, धर्मका समस्तसार बस एक इसी उपदेशमें समाया हुआ है । बाकी और सब बातें कुछ नहीं, केवल शब्दाडम्बर मात्र है ।"
'केवल धर्म जनित सुख ही वास्तविक सुख है। बाकी सब तो पीड़ा और लज्जा मात्र है ।' तिरुवल्लुवर