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________________ वर्ष २ किरण २] भगवान महावीरक बादका इतिहास १४५ ये लोग साहु कहलाते थे। ईसासे २० बरस पहले वजहसे वहाँ एक भारी विहार तैय्यार हुश्रा और इनमें एक रियासतका राजा कुशान हुआ, उसने बौद्धधर्मकी बुनियाद पड़ी। बिम यद्यपि बौद्ध था अन्य चारों रियासतोंको भी जीत लिया, फिर परन्तु हिन्दुस्तानमें शैवधर्मका अधिक प्रचार पार्थवोंसे काबुलभी लेलिया, फिर कंधारभी । वह हो जानेसे अपनी प्रजाको राजी रखनेके वास्ते बौद्ध था, और अपनेको धर्मथिद (धर्म-स्थित) वह अपने सिक्कोंपर शिवनन्दी (बैल) और लिखता था, पीछे वह अपनेको देवपुत्रभी कहने त्रिशूल भी बनाने लगा था। लगा था, उसहीने सबसे पहले चीनमें बौद्ध-धर्मका ईस्वी ७५ के करीब सातबाहन वंशके राजा प्रचार करनेके लिये चीनके राजाके पास अपने महेन्द्रने बिमका राज हिन्दुस्तानसे हटा दिया । दूत भेजे थे। पिशावर और तक्षशिलामें भी पंजाबमें मुलतान और करोरके पास बड़ी भारी उसका राज होगया था, वहाँ एक लेख मिला है लड़ाई हुई । उस समय पंजाबमें शकोंकी तरफसे जिसमें लिखा है कि 'महाराज राजातिराज देवपुत्र सिरकप का बेटा रिसालू राज्य करता था। महेन्द्रने कुषणके आरोग्यके लिये बुद्धदेवकी मूर्ति उसको मारा और शक राज्यको हिन्दुस्तानसे बाहर स्थापित कराई। कर दिया। महेन्द्रने सारा दक्खन देश, सिंध, ईवी ३६ में उसका देहान्त होनेपर उसका काठियावाड़, बरार और मध्यदेश सब जीत लिया बेटा बिम राजा हुअा। ईम्बी ६० में उसने पंजाब- था। इधर बंगाल, उड़ीसा और उत्तरमें काशमीर पर दम्बल किया, फिर मथुराकी तरफ बढ़ता हा भी अपने अधिकारमें करलिया था। यह तमाम बनारस तक जीतता हुआ चला गया। उसहीने देश जीतकर उज्जैनमें उसने एक भारी जलूस सातबाहनसे उज्जैनका राज्य छीना । उसके सिक्कों निकाला था, जिसमें बंगाल कर्नाटक, गुजरात, पर “ महरजस रजदिरजस सर्वलोग ईश्वरस महि. काशमीर और सिंधके राजा बिन्ध्यबल नामक श्वरस विम" लिखा रहता है। मथुरामें एक देव. ' भील-राजा, निर्मूक नामक फारसका राजा भी मंदिर मिला है, जिसमें एक मूर्ति बिमकी भी जुलूसमें शामिल थे । फिर कलिंग देशका राजा मूर्तिके नीचे लिखा है "महाराज राजातिराजो देव कलिंगसेन भी जो शबरों और भीलोंका स्वामी था पुत्रो कुषाण पुत्री शाहि वेम " बिम बहा प्रतापी अपनी कन्या देकर आधीन होगया था। राजा हुआ, उसका राज पूर्वमें चीन तक, पश्चिममें मालूम होता है कि बिमके मरनेके बाद तुरन्त रूम तक और हिन्दुस्तानमें बनारस तक फैल गया ही उसके राज्यका कोई अधिकारी नहीं हुआ। था । राजधानी उसको बदम्बशां थी। हिन्दुस्तानका इसीसे यह सब गोलमाल हुआ जो १२ बरस तक राज्य वह अपने क्षत्रपों द्वारा करता था। ईस्वी ६८ रहा। पीछे उसके एक वंशज कनिष्कने राज्यको में हिन्दुस्तानसे कश्यपमातंग और धर्मरत्न नाम- बागडोर सम्हाली । वह अपने सिझोपर के दो बौद्ध साधु चीन भेजे गये थे, जिनकी "साहमान साहुकनेष्क कोशान" लिखता था।
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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