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________________ वर्ष : किरण २] भगवान महावीरके बादका इतिहास १४३ वेदोंमें वा ईरान (फारिस) देशकी धर्म पुस्तक कहलाता था। पीछेसे यह ही शब्द बिगड़कर जिन्दावस्था (छन्द व्यवस्था) में मिलता है । इनकी शाहनशाह होगया । अपने बाप दादाका बदला एक टोली बहुत दिनोंसे काबुलसं पश्चिम तरफ लेनेके वास्ते फारिसके राजाने शक सर्दारोंके पास श्राबमी थी; इसहीसे उस स्थानका नाम शक एक कटारी भजी कि अपने परिवारको बचाना स्थान वा सीस्तान होगया था। फिर जब ईसास चाहते हो तो अपने सिरकाटकर भेजदो, नहीं तो २४६ बरस पहले चीनके राजाने अपने देशको सर्वनाश कर्रादया जावेगा। हूण नामकी एक जंगली जातिकी लूट मारसे बचाने वाले चीन भी लम्बी इनदिनों उज्जैनमें गर्दभिल्ल जातिका राजथा, एक दीवार बनवादी । तबसं यह हण लोग शकों जिनके अत्याचारोंसे तंग आकर जैनाचार्य कालक पर लूट मार करने लगे, उनसे तंग आकर ताहिया सीसतानमे चलागया था। उसने शक सरदागेको वा तुखार नामको शक जाति काश्मीरके उत्तरमें ममझाया कि लड़ाई करके क्यों अपना सर्वनाश आबसी थी, उसीके कारण पामीर, कम्बोज, बलख करते हो ? मेरे माथ हिन्दुस्तान चले चलो। शक और वदग्नशानका सारा देश तुस्वार वा तुखारि- सरदारोंने उसकी बात मानली और ६६ सरदार म्नान कहलाने लगा था, इसके कुछ दिनों बाद अपनी अपनी सेना सहित हिन्दुस्तान प्रागये । ईसास १६५ बरस पहले यूइश या ऋषिक नामकी पहले सिंध प्राये वहाँ राज्य कायम किया, फिर एक और शक जाति बाखतग्में प्राबसी, तस्तार काठियावाड़ पहुँच, वहाँ भी राज्य स्थापित किया। भी इनके आधीन होगये. मिस नदी पर जगह २ गवर्नर नियत किये जो क्षत्रप वा महा एक टोली हरातमें भी जावमी और कर क्षत्रय कहलाये । फिर गुजरातके गजात्रोंकी महामीस्तानमें श्रावस. जहां पहलेम ही शक लोग यतासे उज्जैनपर चढ़ाई की और अपना गज ग्हते थे। स्थापित किया परन्तु उज्जैनमें उनका यह राज चार बग्म ही रहा, जिसके बाद गर्दभिल्लके बेटे विक्रमा. सीस्तान उस ममय ईरानके पार्थव राजके दित्यने उनसे गज्य छीनकर ईमासे ५७ बरस आधीन था; परन्तु अब नवीन आगन्तुक भाइयों- पहले विक्रम संवम चलाया। का बल पाकर शक लोग पार्थवोंसे लड़ पड़े पार्थव गजा फ्रावन लड़ाई में मारागया। उसके बेटे प्रात ___उस समय शकोंका गजा नहपान था जो वाननं तुम्हारोंपर चढ़ाईकी, परन्तु वह भी मागगया, नहगत वंशका था, जिमका जमाई उपवदान उसके बेटे मिथदानने शकोंका पूरा पूरा दमन (ऋषभदत्त) शक था, जिसका एक लेख नासिक किया, शकोंने उम ममय राजाधिराजकी पदवी (बम्बई अहाता) के पाम मिला है, जिमका अर्थ धारण कर रखी थी। ईरान (कारिस) का राजा इमप्रकार है:माहुअानसाह अर्थान साधुओंका भी माधु "राजा ज्ञहगत जत्रप नहपानकं जमाई
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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