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________________ अनेकान्त के नियम प्रार्थनाएँ अनेकान्तका वार्षिक मूल्य २) म० पेशगी है। वी० पी० से मंगाने पर तीन आन जस्ट्रीक १. अनेकान्त"किमी म्वार्थ बुद्धिसे प्रेरित होकर अधिक देने पड़ते हैं। माधारण ५ प्रतिका अथवा आर्थिक उहश्यको लेकर नहीं निकाला मूल्य चार आना और इम नव-वर्णाङ्कका जाता है. किन्तु वीरमंबामन्दिरके महान मूल्य बारह आना है। उद्देश्योंको सफल बनाने हा लोकहितको अनेकान्त प्रत्येक इंग्रेजी माहकी प्रथम माधना नथा सभी मंवा बजाना ही इम पत्र. तारीखको प्रकाशित हश्रा कंग्गा। का एक मात्र ध्यय है। अन: मभी मजनों अनकान्तक एक वर्षम कमके ग्राहक नहीं को इमकी उन्नतिमें महायक होना चाहिये । बनाये जाने । ग्राहक प्रथम किग्गाम १० वी जिन मजनोंको अनेकान्तक जो लग्ब पसन्द किरा तक ही बनाये जाने हैं। एक वर्ष आर्य, उन्हें चाहिये कि वे जितने भी अधिक के बीचको किमी किरगम दृमर वर्षकी उम भाइयोंको उसका परिचय करा मके ज़ार किरण तक नहीं बनाय जातं। अनेकान्तका कगये। नवीन वर्ष दीपावलांस प्रारम्भ होता है। पता बदलनको सूचना नानक कार्यालय ३. यदि कोई लेग्य अथवा लेग्बका अंश ठीक में पहुच जानी चाहिये । महिन-दो महिनक मालूम न हो, अथवा धर्मविरुद्ध दिग्याई दे, लिये पता बदलवाना हो ना अपने यहाँक ना महज़ उमीकी वजहसे किमीको लग्बक या डाकघरको ही लिग्यकर प्रबन्ध करना सम्पादकमप-भाव न धारण करना चाहिय, चाहिये। ग्राहकांको पत्र व्यवहार करते किन्तु अनेकान्त-नीनिकी उदारतासे काम ममय उनके लिये पाम्टेज खर्च भंजना लेना चाहिय और हामक ना युनि-पुरम्मर चाहिये । माथ ही अपना ग्राहक नम्बर और मयत भा में लेग्यकको उमकी भूल मुझानी पताभी स्पष्ट लिग्बना चाहिय, अन्यथा उत्तर चाहिये। के लिये कोई भगमा नहीं रखना चाहिये । ५. "अनकान्त" की नीति और उहश्यक अनु. कार्यालयस अनकान्त अच्छी तरह जाँच मार लेग्य लिग्यकर भजनके लिय देश तथा करके भेजा जाता है। यदि किसी मामका समाजक मभी मुलग्यांका आमन्त्रण है। अनेकान्त ठीक समय पर न मिले नो. अपने "अनकान्त" को भंज जाने वाले लग्बादिक डाकघरस लिग्वा पढ़ी करनी चाहिये । वहाँम कागज की एक और हाशिया छोड़कर सुवाच्य जो उत्तर मिल. वह अगली किग्गा प्रकाशित अक्षम लिख हान चाहिये । लग्याको होनस मात गंज पूर्व तक कार्यालयमें पहुँच घटाने. बढ़ान. प्रकाशित करने न करने.लौटाने जाना चाहिये । देर होनस. डाकघरका जवाब न लौटानका सम्पुर्ण अधिकार मम्पादकको शिकायती पत्रक माथ न आनस.दमरी प्रति है । अम्बीकृत लग्य वापिम मंगाने लिये बिना मूल्य मिलने में बड़ी अड़चन पड़ेगी। पाटन खर्च भंजना आवश्यक है। लंग्व निम्न अनेकान्नका मूल्य और प्रबन्ध सम्बन्धी पनेस भेजना चाहिये :पत्र किमी व्यक्ति विशेषका नाम न लिम्ब कर निम्न पनेम भंजना चाहिये । जुगलकिशोर मुग्नार व्यवस्थापक 'अनकान्न" मम्पादक अनकान्त कनॉट मकम पा०प० नं०४८न्य देहली मम्मावा जि० महारनपुर
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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