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________________ वर्ष : किरण १] अहिंसाधर्म और धार्मिक निर्दयता इनके अतिरिक्त दक्षिणके अनेक जिलोंमें निर्दयताके ये कुछ उदाहरण हैं, जो प्राय: तिलक यज्ञके लिये बकरोंके मारनेकी यह प्रथा बहुत छाप धारी हिन्दुओंके द्वारा किये जाते हैं, और जोरों पर है कि बकरोंके अंडकोषोंको किसी किये जाते हैं खूब गा बजाकर-हिंसानन्दी रौद्र भारी वस्तुसे दबाकर कुचलने श्रादिके अमानुषिक ध्यानमें मग्न होकर !! संसारके और भी भागों में कर्म द्वारा उन मूक पशुओंको मरणान्तिक वेदना इनके जैसे अन्य अनेक ऐसे कुकर्म किये जाते हैं, पहुँचाई जाती है। जिनको सुनकर हृदय काँप उठता है और समझमें इस प्रकार पशुओंको धर्मके नाम पर असह्य नहीं पाता कि ऐसे कर कोंके करने वाले मनुष्य यंत्रणा पहुँचाने वाले कुकृत्योंके अथवा धार्मिक हैं या राक्षस अथवा जंगली जानवर !! i . MMA WHA .. . नेलोर जिलेके मोपेड़ नामक स्थानपर देवीके मंदिरके सामने एक चार फुट गहरा गढ़ा खोदकर उसमें एक भैसेको उतार कर मज़बूतीसे बांध दिया जाता है। इसके पश्चात् कुछ लोग उसको भालेसे छेदकर जानस मार डालते हैं। ये लोग पहलेसे उसकी इस प्रकार मारनेकी शपथ लेते हैं। पाश्चात्य देश यद्यपि मांसाहारी हैं किन्तु उन पर अधिक बोझा लादना, उनको पेट से कम वहाँ प्रयोग शालाओंको छोड़कर अन्यत्र पशुओं चारा देना, निर्दयतापूर्वक पीटना और पैर बांधकर को यंत्रणा पहुंचाकर नहीं माग जाता । वहाँ लेजाना आदि कार्य पाश्चात्य देशोंमें कानून पशुओंके ऊपर निर्दयतापूर्ण व्यवहार करने के विरुद्ध घोषित करदिये गये हैं। सन १८६० में विरुद्ध कानून बने हुए हैं, जिनका उल्लंघन करने माननीय मिस्टर इचिनमनने भारतीय कोसिलमें पर जुर्माने से लेकर जेल तकका दंड दिया जाता भी 'पशु निर्दयता निवारक' बिल उपस्थित किया है। पशुओंको गाड़ी में जीत कर अधिक चलाना. था। यद्यपि इस ऐक्ट के अनुमार पशुओंके माथ
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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