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________________ ६२ १९ दानका अर्थशास्त्र, २० पात्रदान रहस्य २१ खादीके व्यवहारमें त्यागका तत्त्व २२ परोपकार और स्वोपकार २३ जीवाजीव परिज्ञान, २४ बंध-मोक्ष-तत्त्व २५ पुण्य-पाप- रहस्य, २६ श्रात्मतत्त्व - विनिश्वय २७ आत्मा और परमात्मा २८ इंद्रियजय- माहात्म्य, २९ प्रसन्नता रसायन ३० जीवन और मरण (अथवा मृत्युसमस्या ) ३१ अकाल मृत्यु ३२. हमारी दुःखावस्था और उसका प्रतीकार ३३ हमारी संकीर्णता और हृदयहीनता ३४ हमारा उत्थान और पतन ३५ हमारा दारिद्रय और उसका परिणाम ३६ हमारे दुःखोंका मूल, ३७ हमारी धर्मचिन्ता ३८ धर्मके श्रासनपर रूढ़ियाँ ३९ रूढ़ियोंका दासत्व और प्रतिफल ४० सुखका सचा उपाय ४१ हमारी धार्मिक संस्थाएँ ४२ हमारी पंचायतें और उनका बल ४३ हमारी शिक्षापद्धति, ४४ दौर्बल्य शासन ४५ हमारा साहित्य और उसमें विकारका प्रवेश ४६ साहित्य के विकार से होनेवाली हानि ४७ हमारा सामाजिक संगठन और जीवन ४८ लुटे हुए जैनी, ४९ मरणोन्मुख जैनसमाज ५० समाजका क्षयरोग, ५१ हमारी नपुंसकता ५२ बलकी आराधना, ५३ विचार स्वातंत्र्य और उसका महत्व (अथवा विचारसहिष्णुता ) ५४ सत्संगति-कल्पलता, ५५ हमारा स्वार्थ ५६ शुद्धि-तत्त्व -मीमांसा ५७ पतितोद्धार ५८ छूत और अछूत, ५९ स्वाभिमान और अपमान ६० देव और पुरुषार्थ ( तक़दीर और तदबीर) ६१ समाजके उत्थानमें नवयुवकोंका स्थान, ६२ शक्तिका दुरुपयोग ६३ जिनवाणीके साथ जैनियोंकी बेवफाई अनेकान्त [ वर्ष १, किरण १ ६४ दिगम्बरों और श्वेताम्बरोंकी प्रवचनभक्ति ६५ हमारी पतित पावनी गंगा ६६ श्रद्धा, अश्रद्धा और अन्धश्रद्धा ६७ धर्मके नामपर पाखण्ड (पापप्रचार ) ६८ जैनधर्म व साम्यवाद, ६९ विश्वप्रेमी महावीर ७० महवीरकी समता और उदारता ७१ ऐतिहासिक अनुसंधान, अथवा पुरानी बातोंकी खोज ७२ दुष्प्राप्य और अलभ्य साहित्य ७३ महत्पुरुषों की ऐतिहासिक जीवनियाँ ७४ वीर माताएं, ७५ हमारेपराक्रमी पूर्वज ७६ विदेश और समुद्रयात्रा ७७ हमारी मिध्यात्वसेवा ७८ स्त्री जातिका अपमान, ७९ महिला समुत्थान ८० अंतरंग शत्रु । ८१ शरीरका राजा । ८२ सदाचारका तत्व, ८३ जैनधर्मकी खूबियाँ ( विशेषताएँ) ८४ गृहस्थ धर्मकी महत्ता ८५ जैनयोगविद्या ८६ कर्मसिद्धान्त रहस्य, ८७ हेयादेय-परिज्ञान ८८ जगतकर्त त्व-मीमांसा, ८९ ईश्वर और अनीश्वरवाद, ९० युक्तिवाद और आगमवाद ९१ सुनय और दुर्नय ९२ सर्वज्ञकी परिभाषा अथवा सर्वज्ञसिद्धि ९३ ज्ञान और चारित्र ९४ धर्मादा खाता ९५ वैवाहिक सम्बंध, ९६ समाजशास्त्र-विज्ञान ९७ वैज्ञानिकजगत अथवा विज्ञानके नयेनये श्राविष्कार ९८ देशके प्रति जैनसमाजका कर्तव्य ९९ रोटीका प्रश्न १०० समन्तभद्राश्रम के प्रति समाजका कर्तव्य १०१ जीवनज्योति जगानेवाली सुभाषित मणियाँ नोट - 'अनेकान्त' को भेजे जानेवाले लेख गद्यमें हों या पद्य में परन्तु वे सब कागजकी एक तरफ हाशिया छोड़कर, सुवाच्य अक्षरोंमें लिखे जाने चाहियें । विनीतव्यवस्थापक " अनेकान्त ""
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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