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________________ अनेकान्त [वर्ष १, किरण ८,९,१० कुलोन्नति ही ज्ञात होता है । 'पायएण' नामक कविके में) नूलपुरके अनंत-जिन-चैत्यालयमें पूर्ण किया। द्वारा रचित 'भेकनाख्यान' नामका एक सोलह संधि- 'रामचंद्रचरित' सांगत्यमें है । इसमें ३७ अध्याय और (अध्याय) परिमित सांगल्य ग्रंथ और भी है । संभव है. ५२६८ पद्य हैं, जिनमेंसे २१५१ पद्य चंद्रशेखर कविकि यह भी इसी कविद्वारा रचित हो, परन्तु अभी कृत और शेप पद्मनाभ कविकृत हैं । इसमें जैनमताननिःसन्देह रूपसे नहीं कहा जा सकता। सार रामायणकी कथा लिखी हुई है। ४ पान भ (१७५८) ____५ गम (ल० १७५०) इन्होंने 'रामचन्द्रचरित्र' का उत्तर भाग–अर्थात् इन्होंने पद्मावतीका यक्षगान लिखा है। कविका १७ वी सन्धि (अध्याय) में आगे-लिग्व कर प्रन्थको कथन है कि यह गन्थ मूलिके राजाके इष्टानुसार जिग्वा पूर्ण किया है । प्रन्थक अंतमें निम्न बातोंका उल्लेख गया है । इसमें जिनदत्तरायके पद्मावती देवीको उ।। मिलता है:-इस गन्थके कुछ भाग चंद्रशेश्वर या शंक- मथगस होम्यच्च लानकी कथा है । गन्धारंभमें जिनर कवि लिख कर स्वर्गवासी हुआ। कुछ समयके प- स्तुति तथा मरम्वती-स्तुति है । कविका समय कगब श्चान तौलव देशके मूलिकं गजा चेन्नगय मावंत एवं ५७५८ के मालूम होता है। उनके मामा कुन्दैयरम की इच्छानमार पाग्वेणीपर के ६ पद्मगन, (ल. १७५०) पगमट्टि, पद्मावती के पुत्र पद्मनाभ * ने इस पूर्ण यह कवि विजयकुमारनकथे' नामक यक्षगान के किया । अोललंक, नृतनपुर, अयकल ये 'मूलिक' के लेखक हैं। इनके पिता शांतिगुणसे सुकीर्तित, दातृत्वन.मान्तर हैं। वहाँ के अनंतनाथ-जिन-चैत्यालयमें 'प्र- यक्त-मैसरके शांतपण्डित,गम वादवादीश्वर वादिपिताभाचंद्र' नामक मुनि निवास करते है । इस चैत्यालयके के मह अकलंक' मुनि हैं। इनका काल करीब १७५० चारों दिशाओं में चार और जिन-चैत्यालय हैं । राज- के विदित होता है । गथवतारमें शांतिजिन और सरभवन में चंद्रनाथस्वामी का चैत्यालय है और उसमें स्वती की स्तुति है। पद्मावतीदेवी की मूर्ति भी है । चेन्नराय सावन्त मिद्ध ७ शान्तिकीर्ति (१७५५) माम्बे का पुत्र है। इन्हें आललंकापाच्छाह नामक उ. ___ इन्होंने देवसेन-कृत आगधनासारकी कन्नडटीका पाधि और हनुमकंतन प्राप्त है । कवि पद्मावतीदेवी का बनाई है । टीका का समय शक सं०१६७७ अर्थात् ई० चरणाब्ज-मधप है और उमी की कृपामे उसने इसकी सन् १७५५ है। रचना की है । कवि का गुरु पंडितार्य', शिक्षक गुरु ८ सराल, (१७६१) 'प्रभाचंद्र', पक्षक 'चेन्नराजेंद्र', प्रेक्षक 'कुन्दैयरस' हैं । इन्होंन 'पद्मावतीचरित' लिखा है । मि० ई० पी० इस गन्थको शक १६७४ प्रमोदवर्ष में (ई०सन् १७५० राइस साहबका कथन है कि, कवि अपने ग्रन्थ में इसे * "पद्मावतीचरिते' का लेखक पद्मनाभ मूलिके तथा उसके पत्तिकापर* के चंद्रशेखर चिक्कराय चौट के रानीवास उपनामों को बतलाता है । पर दूसर राजा का उलेख किया है, इस लिये एतदिन मालूम होता है (1)। इसके अतिरिक्त यह अपने को xयह ग्राम मूडबिद्री से मील पर है। आज कल इसे पुत्तिंगे राजकीय कोशाध्यक्ष बतलाता है। कहते हैं । उस समय यही चौटराजाओंकी राजधानी थी(अनुवादक)
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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