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________________ ४१६ अनेकान्त (९) प्राचीन हिन्दूप्रन्थों परसे जैनइतिवृत्तका संग्रह (१०) दूसरे प्राचीन ग्रन्थों परसे जैन इतिवृत्त का सं (११) प्राचीन जैन स्मारकों तथा कीर्तिस्तंभों का ठीक परिचय, विशेष खोजके साथ । (१२) जैन सम्बंध में आधुनिक विचारों का संग्रह, उन्हीं के शब्दों में । जैन विद्वानोंके (१३) दिगम्बर श्वेताम्बर - भेद-प्रदर्शन (अनुयोगभेदसे चार भागों में ) - अर्थात, दोनों सम्प्रदायों में परस्पर किन किन बातों में भेद है उनकी सूची । (१४) बौद्ध और जैन परिभाषाओं (Technical 11 ।।-) का विचार, समानता और मौलिकता की दृष्टिसे (१५) उपजातियों तथा गोत्रों आदिके इतिहासका । संग्रह | (१६) ऐतिहासिक जैनकोशका निर्माण, जिसमें जैन आचार्यो, विद्वानों, राजाओं, मंत्रियों तथा अन्य ऐतिहासिक व्यक्तियों का, उनके समयादि सहित, संक्षेप में प्रामाणिक परिचय रहे । (१७) जैन इतिहासका निर्माण, पूर्ण खोज के साथ । (१८) भारतीय इतिहासकी अपूर्णता और त्रुटियों दूर करने का प्रयत्न | (१९) पुरातन - जैनवाक्य-सूची - अर्थात खास खास प्राचीन ग्रन्थोंकी श्लोकानुक्रमणिकाएँ, संस्कृत प्राकृतके विभागसे दो भागों में, 'उक्तंच' आदि श्लोकों की खोज तथा गन्धादिकों के समय निर्णयके काम में सहायता प्राप्त करने के लिये | (२०) ग्रन्थावतरण-सूचियाँ, जाँच सहित - अर्थात् ग्रन्थोंमें आये हुये उद्धृत वाक्योंकी सूचियों, उन ग्रन्थों के पूरे पते सहित जहाँ से वे वाक्य उद्धृत किये गये हैं। वर्ष १, किरण ६, ७ (२३) महत्वके खास खास प्रन्थोंका अनुवाद | (२४) जैनसुभाषितसंग्रह — अर्थात् जैन ग्रन्थों पर अनेक विषयों की सुंदर, शिक्षाप्रद और रस भरी क्तियों का संग्रह | (२१) जैनलक्षणावली का निर्माण - अर्थात् अनेक प्राचीन जैन प्रन्थोंमें आए हुए पदार्थों आदिके लक्षणों का महत्वपूर्ण संग्रह, जिससे सबों को वस्तुतत्त्वके सममें आसानी हो सके । (२२) जैन पारिभाषिक शब्दकोशका निर्माण । (२५) कथासारसंग्रह - अर्थात् पुराणों आदि पर से, अलंकारादिको छोड़कर, मूल कथाभागका संग्रह | (२६) विषय- भेद से ग्रन्थोंका सारसंग्रह अथवा स्नास खास विषयों पर ग्रन्थोंके महत्वपूर्ण या असा धारण वाक्यों का संग्रह । (२७) जैन स्थिति - परिज्ञान, गणना तथा देशभेदम सामाजिक रीति-रिवाजोंके परिचय सहित । साथ ही, ऐसे जैन कुटुम्बों के भी परिचयको लिये हुए जिनकी आमदनी चार श्राने रोजसे कम है । (२८) महावीर भगवान् और उनके बाद होनेवाल खास खास प्रभावक आचार्यों के चरित्रोंका निर्माण, पूरी खोज के साथ । (२९) पाठ्यपुस्तकोंका निर्माण - १ बालकों के लिये, २ स्त्रियोंके लिये और ३ सर्व साधारण के लिये । (३०) गृहस्थधर्म पर एक उत्तम और सर्वोपयोगी पुस्तकका निर्माण, 'अपटुडेट सब बातोंका संतोषजनक उत्तर देने के लिये समर्थ हो (३१) जैन-योग-विद्याकी खोज - अर्थात् जैनगथों में योगसाधनादि विषयक जो भी महत्वका कथन पाया जाय उस सबका एकत्र संग्रह करके सार खींचना | (३२) जैनतत्वोंके रहस्य का उद्घाटन और जैनधर्मकी विशेषताओं तथा उसकी उदार नीतिका प्रतिपादन | (३३) जैनधर्मका लोकमें सर्वत्र प्रचार और प्रसार (३४) जैनसमाज को स्वावलम्बी, सुखी तथा वर्द्धमान बनानेकी ओर प्रगति । (३५) 'अनेकान्त' पत्रका सम्पादन और प्रकाशन, जिसकी नीति सदा उदार और भाषा शिष्ट, शांत तथा गंभीर रहेगी । (३६) उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन |
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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