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________________ २८ अनेकान्त [वर्ष१, किरण १ பாபாபாபாபா * धनिक-सम्बोधन * चकरमें विलासप्रियताके फँस मत भूलो अपना देश, प्रचुर विदेशी व्यवहारोंसे करो न अपना देश विदेश । लोक दिखावेके कामोमें होने दो नहिं शक्ति-विनाश, व्यर्थ व्ययोंको छोड़, लगो तुम भारतका करनं सुविकाश ।। (१) (४) भारतके धनिको ! किस धुनमें भारतवर्ष तुम्हारा, तुम हो ___ पड़े हुए हो तुम बेकार ? भारत के सत्पुत्र उदार, अपने हित की खबर नहीं, फिर क्यों देश-विपत्ति न हरते या नहीं समझते जग-व्यवहार? करते इसका बेड़ा पार ? अन्धकार कितना स्वदेशमें पश्चिम के धनिकों को देखो छाया देखो आँख उघार, करते हैं वे क्या दिन रात, बिलबिलाट करते हैं कितने और करो जापान देशक सहते निशदिन कष्ट अपार ? धनिकों पर कुछ दृष्टि-निपात ।। (२) कितने वस्त्रहीन फिरते हैं, लेकर उनसे सबक स्वधनका क्षुत्पीड़ित हैं कितने हाय ! करो देश-न्नति-हित त्याग, धर्म-कर्म सब बेच दिया है दो प्रोत्साहन उन्हें जिन्हे है कितनों न होकर असहाय !! देगोनिसे कल अनराग । जो भारत था गुरु देशों का, शिल्पकला-विज्ञान सीखने महामान्य, सत्कर्म-प्रधान, युवकोंको भेजो परदेश, गौरवहीन हुआ वह, वनकर कला-मुशिक्षालय खुलवाकर, पराधीन, सहता अपमान । मेटो सब जनताके क्लेश ।। (३) क्या यह दशा देख भारत की, कार्यकुशल विद्वानोंसे रख तुम्हें न आता सोच विचार ? प्रेम, समझ उनका व्यवहार, देखा करो इसी विध क्या तुम उनके द्वारा करो देशमें पड़े पड़े दुख-पारावार ! बहु-उपयोगी कार्य-प्रसार । धनिक हुए जिसके धनसे क्या भारत-हित संस्थाएँ खंलो __ योग्य न पूछो उसकी बात ! प्राम-प्राममें कर सुविचार, गोद पले जिसकी क्या उस पर करो सुलभ साधन वे जिनसे देखोगे होते उत्पात !! वैर-विरोध, पक्षपातादिक, ईपा, घणा मकल दुष्कार रह न सकें भारतमे ऐसा यत्न करा तुम बन समुदार । शिक्षाका विस्तार करो यों रहे न अनपढ़ कोई शेप, सब पढ़ लिखकर चतुर वनें औ' समझे हित-अनहित सविशेष|| करें देरा उत्थान सभी मिल, फिर स्वराज्य मिलना क्या दूर? पैदा हों युगवीर' दे में, तब क्यों रहे दशा दुख-पूर ? प्रवल उठे उन्नति-तरंग तर, देखें सब भारत-उत्कर्ष, धुल जावे सब दोष-कालिमा सुख-पूर्वक दिन को सहर्ष ।। उन्नत हो अपना व्यापार -'युगवीर'
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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