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________________ શ્રી ક. લા અમૃત મહેાત્સવ વિશેષાંક हार्दिक उद्गार [ दिल्लोके सुप्रसिद्ध पुस्तक विक्रेता और जैन समाज के आगेवान कार्यकर श्री सुन्दरलाल जैनने अमृत महोत्सव पर दिया प्रवचन का सार ] श्रेष्ठ सेठ श्री कस्तूरभाई लालभाई जी से मेरा परिचय आज लगभग बीस वर्षो से है । यह परिचर सेठजी की समाज सेवा और धर्मंप्रभावना सम्बन्धी गतिविधियों के नाते हैं । पाकिस्तान बनने पर गुजरांवाला में छुटे (६० पेटिये में बन्द ) अमूल्य शास्त्रभंडार (जा कि पाकिस्तान सरकार के कब्जे में था ) का भारत में सुरक्षित रूप में लाने का पूरा श्रेय सेठजी को ही हैं, क्योंकि जब हम लोग उसके लाने में असमर्थ हो गये तब सेठजी ने उसे सरकार . के कब्जे से निकालने और सुरक्षित पहुँचाने में हमें पूरा गदान दिया। शास्त्रो की दुर्लभता और श्रुतज्ञान से जो परिचित हैं वे सेठजी के इस कार्य का महत्व स्वयं ही समझ सकते हैं । पञ्जाब में एकमात्र जैनों के प्रसिद्ध श्री आत्मानन्द सेन कालेज अम्बाला का उद्घाटन भी आपही के हाथों हुआ जो आज पूर्णरूप से प्रफुल्लित हो रहा है । पाकिस्तान से आने वाले जैन भाइयों के लिये दिल्ली के रुपनगर में आपने एक ऐसा सुन्दर मन्दिर अपनी देखरेख में बनवाने में सहयोग दिया जिसकी तुलना में आसपास कोई मन्दिर नहीं और जिसकी अत्यन्त भव्य और मनेाहर प्रतिमा सेठजी के सौन्दर्य, प्रेम और कला मर्मज्ञता की प्रतीक हैं । ૧૫ मैं श्री कस्तूरभाई को अपने जीवन के ७५ वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष में आयोजित इस अमृतात्सव परं साधुवाद देना चाहता हूँ । ' जीवन के ७५ वर्ष ' कोई महत्त्वपूर्ण घटना नहीं, महत्त्वपूर्ण है जीवन के ७५ वर्षो में जा सेठजी को उपलब्ध हुआ और जा सेठजी से समाज का उपलब्ध हुआ जिसकी अत्यन्त संक्षिप्त चर्चा मैंने अभी की है। व्यक्ति का जीवन व्यक्ति और समाज दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है । सेठजी के इस व्यक्तित्व से जैनधर्मं और जैनधर्म के सार से सेठजी का व्यक्तित्व, अन्या न्यभाव से उसी प्रकार सुशोभित हुए हैं जिस प्रकार कमल से सरेश्वर और सरोवर से कमल सुशोभित होता हैं । માર્કડના ભયંકર ત્રાસમાંથી બચવાની બીનખરચાળ અમૂલ્ય અહિંસક રીત भाउ ( Bugs ) तद्दृन सीसी ( Smooth ) सपाटीवाना Obtuse-angled ( वांडा આકારના) વાસણ ઉપર ચઢી શકતા નથી, તેથી આવા આકારના પ્લાસ્ટિકના, પિત્તળના કે ત્રાંબાના વાસણ (વાટકા) દરદીઓના ખાટલાના પાયા નીચે મુકવામાં આવે તે ખીજા દરદીએના ખાટલાના માકડ ( Bugs ) તે દરદીને સતાવી શકતા નથી. આવા વાસણમાં પાણી અથવા બીજ કાઈ દવા નાખવાની જરૂર નથી. वासाने माठार Obtuse-angled भेटले नीयेथी सांडे। मने उपरथी पहोलो V (वी) આકૃતિ જેવે હેવા જોઇએ. ગુ લા જ ચ દ મૂ લચ' દ सता भुवन, भीमाशी स्ट्रीट, भाटुंगा, શા હ ०५६-१७
SR No.537867
Book TitleJain 1970 Book 67 Kasturbhai Lalbhai Amrut Mahotsav Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Devchand Sheth
PublisherJain Office Bhavnagar
Publication Year1970
Total Pages70
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Weekly, & India
File Size10 MB
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