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________________ क्षुल्लक शिष्य वि.सं. २०६४, मासो सुE-७, भंगणवा . त.७-१०-२००८ . १०८ धर्म था विशेष करने लगा । उबड़ खाबड मार्ग पर चलते हुए भैंस खडा रहता तब सार्थवाह कोडे से कडी मार मारता, तब भैंस जोरो से चीखता तब सार्थवाह भी जोरो से चिल्लाता, 'अरे ! क्यों महामुश्किल से प्राप्त मनुष्य भव मैंने गँवा दिया । धिक्कार है | मुझे। मेरे कर्मों से मैं भैंस बना हूँ। चीखता है ? पूर्व जन्म में मैं यूं करने में शक्तिमान नहीं हूं. वो करने में शक्तिमान नहीं हूं-यों बारबार कहता था, अब कह, भैंस को ज्ञान हुआ जानकर देवता ने कहा, 'मेरे तेरे | पूर्व भव का पिता हूं और तुझे पूर्वभव का स्मरण दिलाने आया हूँ। अभी भी यदि शुभगति की इच्छा हो तो अनशन ग्रहण कर।' यह सुनकर भैंस ने अनशन ग्रहण किया और वहाँ से भुगत तेरे कर्मो के फल ।' इस प्रकार कहते हुए जोर से कोडा मारा। मरकर वैमानिक देवता बना। इसलीए हुए व्रत काशुद्धतापूर्वक कोडे की मार और सार्थवाह के ऐसे वचन सुनकर पालन करना और क्षुल्लक मुनि की भाँति दूसरे दर्शन के भैंस को जातिस्मरण ज्ञान हुआ । पूर्व भव नजर समक्ष आया | आचार देखकर उनकी अपेक्षा आकांक्षा करनी नहीं । श्री और उसके नेत्र में से अश्रुपात करते हुए सोचने लगा, 'पूर्व भव | जिनेश्वर भगवान ने कहा वह सत्य है, उसमें किसी प्रकार से में पिता के कहे अनुसार मैने चारित्र पालन नहीं किया और | शंका न करनी। | પ. પૂ. આ. શ્રી વિજય અમૃત સૂરીશ્વરજી મ. સા. ના પટ્ટધર પૂ આ શ્રી વિજય જિનેન્દ્રસૂરીશ્વરજી મહારાજની પ્રેરણાથી જૈન શાસન ૧૦૮ ઘર્મકથા વિશેષાંકને હાર્દિક શુભેચ્છા પ પૂ આ. શ્રી વિજય અમૃત સૂરીશ્વરજી મ. સા. ના પટ્ટઘર ५. २१. श्री विनय लिनेन्द्र सूरी०५२७0 86१२।६४ जी પ્રેરણાથી જૈન શાસન ૧૦૮ ધર્મકથાવિશેષાંકને હાર્દિક શુભેચ્છા જાગૃતી ડી. મહેતા વૈર્ય ડી. મહેતા Dhiran H. Mehta હર્ષદરાય જેશાંગલાલ મેતા પરિવાર VARDHMAN Marketing TOYS PRESENTATION ARTICLES PLASTIC GOODS CUTLERY ITEMS JITEN93748 38773 RUPESH 9904593980 SANJAY 98795 17005 ઝેડ બ્લેક તથા અન્ય બ્રાન્ડેડ કંપનીના ઓથોરાઈઝડ ડીલર Wholesaler & Retailer of Bangalore's Famous Agarbati GRA M PRO. HARSHADRAI | H.J. MEHTA Panjab National Bank Street, Opp. Ram Bhuvan Jamnagar-361001.Ph. (R) 2664967 Mo. : 9428317480 24. HAVELI MARKET, G.D. SHAH HIGHSCHOOL ROAD, NR. SETAVAD, JAMNAGAR-361 001. Ph.0.2677476,R.2672835
SR No.537274
Book TitleJain Shasan 2008 2009 Book 21 Ank 01 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2008
Total Pages228
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size11 MB
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