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200 २६0 30/qrpitai (मनात येते श्रीन शासन (४१४) * १६ १3 * २ix 3२/33 * त. १०-४-२००६
૨૬૦૦ ઉજવણીમાં ભળનારા શ્વેતાંબરો ચેતે
श्री कमलद्रह तीर्थ, पटना दिगम्बर नेतृत्व का भ्रामक प्रचार
तीर्थ वन्दना के जनवरी, २००१ अंक में प्रकाशित सामग्री का कुछ अंश स्पष्टीकरण सहितयह स्थान पौराणिक एवं ऐतिहासिक रुप से बिहार के प्राचीन |
स्पष्टीकरण पुरातात्विक अवशेषों में भी गिना जाता है, जिसके कारण भारत जैन धर्म के सर्वमान्य सिद्धान्त हैं - सत्य, अहिंसा सरकार द्वारा एक विशेष अधिनियम के तहत इसे सुरक्षित स्थल अपरिग्रह । चाहे श्वेताम्बर हों या दिगम्बर; उपरोक्त तीन शब्दों में है। घोषित किया गय है।
जैन धर्म का निहितार्थ है। यही विश्व में हमारी पहचान है। जैन शब पिछले वर्ष सरकार, स्थानीय नागरिक एवं भक्तजनों के मात्र से ही आम जनमानस के मन में यह बात उठती है कि यह कुछ सहयोग से अगम कुआं मंदिर के बगल पश्चिम तरफ से एक कच्ची कह रहा है तो वह सत्य होगा। उसकी वाणी में भी हिंसा नहीं होगी। सड़क का निर्माण किया गया है जो सीधे सेठ सुदशन के मंदिर तक वह अपरिग्रही होगा। दानशीलता जन-सेवा उसका धर्म ए जाती है।
कर्म है। प्राचीन काल से यह भूमि सिद्ध क्षेत्र के रुप में पूजित है और पटना नगर में जैन संघ के नेतृत्व में दिगम्बर श्वेताम्बर व सरकारी खातों व नक्शों में 'गैरमजरुआ आम' जमीन के रुप में दर्ज भेद नहीं था। जैन संघ के द्वारा प्रकाशित निर्देशिका, जिसके सम्पादद है। अपने कमेटी द्वारा वहां जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए दिगम्बर जैन मतावलम्बी ही हैं, में भी स्वीकार किया गया है कि धर्मशाला, मंदिर का निर्माण किया गया है और अथक प्रयास से कमलद्रह स्थित श्रेष्ठी (सेठ) सुदर्शन मंदिर एवं स्थूलिभद्र मंदि मुख्य मार्ग का नाम सरकार द्वारा सेठ सुदर्शन के नाम पर सुदर्शन पथ | श्वेताम्बर समाज के हैं। आलेख लेखक के पूज्य पिता श्री ने भी इस रखा गया है। काफी समय से निर्वाण भूमि पर दिगम्बर जैन भाइयों के तथ्य को स्वीकार किया। मगर आलेख लेखक एवं दिगम्बर नेतृत्व अतिरिक्त श्वेताम्बर भाई भी यदा-कदा स्थूलिभद्र के चरण की समाज में फूट डालने एवं समाज में अपनी नेतागिरी कायम रखने के पूजा-अर्चना को जाते थे और व्यवस्था को लेकर उनसे कोई विशेष लिए समाज को झूठ ही झूठ का दर्शन कराया है। मतभेद नहीं था श्वेताम्बरों से विवाद की शुरुआत उनके द्वारा आलेख लेखक ने लिखा है कि पिछले वर्ष सरकार, स्थानीय शिखर जी के मुकदमें में शिकस्त खाने के बाद प्रारंभ हुई और तब नागरिक एवं भक्तजनों के सहयोग से अगमकुआं मंदिर के बगढ़
श्वेताम्बरों द्वारा प्रयास किया जाने लगा कि उक्त निर्वाण भूमि को पश्चिम तरफ से एक सड़क का निर्माण किया गया है, जो सीधे से 'वो अपने अधिका में ले लें तथा इस गलत कार्य के लिए उनके द्वारा सुदर्शन के मंदिर तक जाती है। कुछ नीचे स्तर के सरकारी कर्मचारी को मिलाकर भूमि के सरकारी सत्य है, सड़क का निर्माण लगभग दो वर्ष पूर्व हुआ, मग रिकोर्ड में परिवर्तन करने का प्रयास किया गया। साथ ही साथ इस निर्माण में सरकार का कोई हाथ या सहयोग नहीं है । इसका निर्वाण भूमि पर जबरदस्ती कुछ छोटे-मोटे निर्माण कार्य कराकर निर्माण श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ ने ग्रामीणों की मदद अपने कब्जे को गलत ढंग से साबित करने का प्रयास किया जा रहा (भूमि की) अपने खर्च पर यात्रियों की सुविधा के लिए किया है। है जिसके वजह से वर्तमान में दीवानी-फौजदारी कई मुकदमें विभिन्न ग्रामीणों ने भूमि दी और पूरा खर्च श्वेताम्बर संघ ने किया। । 'न्यायालयों में लम्बित हैं। हम भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र श्वेताम्बर विवाद' उप-शीर्षक के साथ लेखक ने जो लिखा ) कमेटी के आभारी हैं जिनके निर्देशन में सभी मुकदमों का संचालन वह असत्य, हिंसा (वाणी) एवं परिग्रह की एक ज्वलंत मिसाल है| • हो रहा है और हमें पूर्ण विश्वास है कि सत्य की विजय हमारे पक्ष में यह तो दिगम्बर नेतृत्व ने मान लिया है कि यह अपना नहीं है, कमलद्रा 0 अवश्य होगी।
क्षेत्र दिगम्बर नहीं है, वह सरकारी है। - अजय कुमार जैन