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________________ २६० sqrilvi (मनात येते. श्रीन शासन (643) १५ १७.०i७२/33. ता. १८ -४-२००५ कमलद्रह अपने आरम्भिक काल से ही श्वेताम्बर संघ की | किसी समय दिगम्बर समाज इस क्षेत्र के प्रबंधन में रहा ? क्यों आज भूमि रही है। श्रेष्ठी सुदर्शन एवं स्थूलिभद्र मंदिर श्वेताम्बर हैं और | झूठ का सहारा लेकर समाज में नये विवाद उत्पन्न कर रहे हैं? मूर्ति जक श्वेताम्बर संघ के प्रबंध में निर्विवाद रुप से चले आ | दिगम्बर नेतृत्व, भाइयों से मेरा अनुरोध है कि सत्य को जानें, असत्य का साथ छोड़ें। भगवान महावीर के २६००वें जन कल्याणक | लेखक इतना तो स्वीकार करते हैं कि यह दिगम्बर नहीं, वर्ष में तो हम इन कार्यो से परहेज करें, जिससे कि हमें वयं को जैन गैरमजरुआ आम (सरकारी) है। कहने में शर्म महसूस हो। | पर यहां भी वे गलत हैं। आज से लगभग १०० वर्ष पूर्व ही | (नमो तित्थस्स) -अशोक कमार जैन सरकार ने इसे श्वेताम्बर प्रबंधन का क्षेत्र स्वीकार करते हुए उपरोक्त गैरम भरुआ आम की भूल सुधार कर दी थी। लेखक का कथन कि पू.. श्री यन्द्रशेजर विजय म. नो कुछ निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को मिलाकर भूमि के सरकारी रिकॉर्ड में परिवर्तन करने का प्रयास किया गया। પૂણ્ય પ્રકોપ । १८९५ में मुंसिफ पटना, कलक्टर पटना के आदेश व पिछले ભગવાન મહાવીરના ૨૬૦૦માં જન્મ १०३ वर्षों से अधिक के सरकारी रिकोर्ड क्या निचले स्तर के कर्मचारी કલ્યાણક મહોત્સવ માટે અમને પૈસા જોઇતા परिवर्तित करेंगे। क्यों वे समाज को गलत जानकारी दे रहे हैं ? मुक्त हृदय से बैठे व समाज के समस्त, दिगम्बर समाज के समक्ष एक भी નથી. માત્ર માંસ નિકાશ પર પ્રતિબંધ મુકી દો. दस्त वजी प्रमाण प्रस्तुत करें कि क्या यह क्षेत्र कभी आपके प्रबंधन સરકારે ભગવાન મહાવીરના ૨૬૦૦માં में रह है? इसके विपरीत पिछले १०० से अधिक वर्षों के अनगिनत જન્મ કલ્યાણક મહોત્સવની ઉજવણી માત્ર કશું दस्त वजी प्रमाण श्वेताम्बर संघ के पक्ष में है। श्वेताम्बर संघ के પણ નકકર કર્યું નથી. વડા પ્રધાન શ્રી काय में दिगम्बर भाइयों ने भी सहयोग का प्रस्ताव दिया। स्वयं आलेख लेखक के पिता जी ने भी। लेखक ने लिखा कि श्वेताम्बर વાજપાયીએ ઉજવણી માટે ૧૦૦ કરોડ રૂપીયા यात्री यदा-कदा आते रहते हैं स्थूलिभद्र मंदिर में। वास्तविक्ता यह है ફાળવવાની જાહેરાત કરી છે. તેનાથી અમે ખુશ कि ताम्बर वर्ष भर हर दिन आते हैं, नित्य सेवा पूजा करते हैं। થઇ ગયા હતા. પરંતુ જે યોજનાઓ પુરી થઇ ગઇ लेखक ने शिखर जी के मुकदमे का जिक्र किया, यह विवाद હતી તેવી ૭૦ કરોડની શાળાઓ હોસ્પીટલોની E09 कैसे है, क्यों है ? पर चर्चा मैं नहीं करना चाहता। यह मामला न्यायलय में विचाराधीन है। अभी फैसला किसी के पक्ष में नहीं યોજના ભગવાન મહાવીર જન્મ મહોત્સવ ના નામે हुआ है। दिगम्बरों के पक्ष में होने का तो प्रश्न ही नहीं। क्योकि ચડાવી દઇ ૭૦ કરોડ રૂપીયા ઉધારી દેવામાં दिगार नेतृत्व ने तो स्वीकार किया है कि पारसनाथ पहाड़ी सरकार आप्यां . की है। इसका कण-कण वंदनीय वपूजनीय नहीं है। जबकि श्वेताम्बर ભગવાન મહાવીર જન્મ કલ્યાણ लड़ है हैं कि पूरा पहाड़ जैनों के लिए पूजनीय और वंदनीय है। मगर कमलदह तो कभी विवादित रहा ही नहीं। आज इसे क्यों विवादित ઉજવણીમાં અમે સરકારનો હસ્તક્ષેપ ઈચ્છતા कर रहे हैं ? क्यों समाज में फूट डाल रहे हैं ? નથી. વચ્ચે ઘણું ચવાઇ જતું હોય છે. કેન્દ્ર સરકાર दीवानी फौजदारी मुकदमें ! एक भी दीवानी मुकदमा नहीं માત્ર માંસની નિકાસ કાયમને માટે બંધ કરી દે है। कमलद्रह से सबंधित मुकदमें मात्र १४४, १०७ दण्ड प्रक्रिया એટલે ભગવાન મહાવીરના જન્મ મહોત્સવની 580 संहिता के तहत हैं एवं हर मुकदमें में आलेख लेखक का पक्ष असफल ઉજવણી થઇ ગઇ અમારે બીજું કશું જોઇ નથી. Iआलेख लेखक ने भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी (भुतित मार्य २००१) का लक्र किया है। क्या दिगम्बर जैन कमेटी बतायेगी कि कभी भी
SR No.537264
Book TitleJain Shasan 2000 2001 Book 13 Ank 26 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2000
Total Pages354
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size22 MB
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