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________________ वीर सैनिक शा खुमचंदजी कपराजी सिरोडीवाले (दीक्षा के पूर्व) दीक्षा के बाद परमपूज्य मुनिराजश्री खान्तिरत्न विजयजी म. सा. गुरु - प. पू. आचायँदेव श्रीमद विजयकमलरत्न सूरीश्वरजी म. सा. पागरणी - शा जीवराजजी धूपाजी चेतना-शा भूरमलजी मन्नालालजी सापडो - संघवी पुखराजजी किस्तुरचंदजी कांबली - शा शंकरलालजी शिवलालजी नाम जाहिर करने का - संघवी पुखराजजी किस्तुरचंदजी मुमुक्षु विकासकुमार आदि तीनो दीक्षा की पत्रिका से | आमंत्रण दिया गया एवं रोहट, सादडी - राणकपुर, अहमदाबाद, मुंबई, मद्रास, आदि से अनेक स्पेश्यल बसें एवं अन्य वाहन आदि से भाग्यशाली पधारे थे। जेठ सुद १२ दि. १३-६-२००० सोमवार को पीडवाडा समीपवर्ती नांदिया तीर्थ जो चण्डकौशिक प्रतिबोध भूमि है, एवं मुमुक्षु विकासकुमार का यहा ननिहाल है। अतिआग्रह से तीनों ही दीक्षित पुण्यात्माओं की बड़ी दीक्षा नांदिया तीर्थ भूमि में हुई। दीक्षा के दूसरे ही दिन जिनालय की ध्वजारोपण, (वर्षगांठ) भी थी। अत: गुरुभगवंतों के अत्याग्रह से वहां वाजते गाजते भव्य प्रवेश कराया एवं इन्ही गुरुभगवंतो की पावननिश्रा में ध्वजारोपण हुआ । प्रवचन, महापूजन, सामिवात्सल्य जिनालय निर्माता शा अचलदासजी दानमलजी के तरफ से हआ। अत्याग्रह से बडी दीक्षा का आयोजन भी नांदिया तीर्थ में रखा गया । बडी दीक्षा के दिन संघवी धर्मचंदजी किस्तुरचंदजी के तरफ पे संघपूजन हुआ। पू. आचार्य भगवंत को कांबली एवं नूतन दीक्षितो के कांबली वहोराने की बोली शेठ श्री अचलदासजी दानमलजी ने ली। गुरुपूजन की बोली - संघवी धर्मचंदजी किस्तरचंदजी पीडवाडावाले एवं आज का सामिवात्सल्य प्रकाशचंद्रजी छोगालालजी नांदिया वाले (मुमुक्षु विसालकुमार के मामाजी) के तरफ से हुआ। ५. दीक्षा लक्ष्मीबेन संतोकचंदजी मरडिया प. पू. मेवाडदेशोद्धारक आ. दे. श्रीमद् विजय जितेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्यरत्न प. पू. तपस्वी आ. दे. श्रीमद्विजय कमलरत्नसूरीश्वरजी म. सा. एवं प. पू. आ. दे. श्रीमद्विजय अजितरत्नसूरीश्वरजी म. सा. आदि की शुभनिश्रा में पीडवाडा की विकासकुमार आदि की दीक्षा देखकर भावोल्लास बढते ही लक्ष्मीबेन ने अषाढ सुद ९ दि. १०-७-२००० को दीक्षा अंगीकार की एवं नाम साध्वीजी लब्धिप्रज्ञाश्रीजी रखा गया एवं साध्वीजी हर्षितप्रज्ञाश्रीजी के शिष्या जाहिर किये गये । आपकी सुपुत्री साध्वीजी सुरक्षितदर्शिताश्रीजी १६ वर्ष से दीक्षित है। अर्धशत्रुजय तुल्य सिरोही नगर में प्रथम चातुर्मास एवं विक्रम संवत् २०५६ के आसोज सुद १० को भागवती बडी दीक्षा हुई। उस समय पू. आ. दे. श्री नेमिसूरिजी म. के समुदाय के पू. उपाध्याय श्री विनोदविजयजी गणिर्वय भी उपस्थित थे इस प्रकार पंचपरमेष्ठि की हाजरी में बडीदीक्षा हुई। बडी दीक्षा के समय विशाल जनमेदनी
SR No.537264
Book TitleJain Shasan 2000 2001 Book 13 Ank 26 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2000
Total Pages354
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size22 MB
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