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स्वर्ग
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श्रीन शासन (464135) • वर्ष १३ . १७/१७ . ता. १८-१२-२००० भगवान महावीर स्वामीने गौतम गणधरादि के प्रश्नोतरी का उतर देते हुवे राजगृही नगरी के गूणशील उद्यान मे भावि चौविसी के तिर्थंकरो के भविष्य का वर्णन करते हुए जो भविष्य वाणी की वो "तित्थोगाली पय्यना" के पेज २९ से ३७७ तक प्रकाशीत है । उसी के आधार पर यह चार्ट बनाया
गया है. इसमे निर्वाण के सम्बन्ध मे मत चल रहा है अतः सत्य प्रकाशित करने की कृपा करे। गाथा - ९९१ से १२५५ तक
खासगाथा "तित नंबर भावि. तिर्थ नाम किसका जीव है | क. आ. | भा. निमो. | माताजी .ना. | पिताजीजी .ना. | नगर | प्र. गणधर | प्र. साध्वी प्रभुजी पद्मनाभ श्रेणिक राजा नरक पावापुरी भद्रा
सुमती . । शत्तद्वार | कामकुंभसेन प्रभुजी सूरदेव
सुपार्श्व. (भ.म. का की) स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी सूपार्श्व कोणिका पू. उदई
गिरनार प्रभुजी स्वयंप्रभ पोटिल राजा
सम्मेतशी प्रभुजी स्वानुभुती दढायूं श्रावक
सम्मेतशी प्रभुजी देवसूत कार्तिक शेठ
सम्मेतशी प्रभुजी उदय
शेख श्रावक
स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी पेढाल
अनन्त मुनि
स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी पोटिल सूनन्द
सम्मेतशी प्रभुजी सर्वाकिर्ति शतक श्रावक स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी सूवृत
कृष्ण मा देवकी नरक सम्मेतशी प्रभुजी अमम
कृष्ण वासूदेव
नरक सम्मेतशी प्रभुजी निषकषाय सत्यकी विद्याधर नरक चम्पापुरी प्रभुजी निषपुलाक बलदेव (कृ. भा.)
सम्मेतशी प्रभुजी निर्मल
सूलशा श्राविका स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी चित्रगुप्त रोहिणी हू. माता
स्वर्ग
सम्मेतशी १७. | प्रभुजी समाधी रेवती श्राविका
सम्मेतशी प्रभुजी संवर
शतानिक
- स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी यशोधर
द्वैषायन अषि स्वर्ग सम्मेतशी प्रभुजी विजय कर्ण (कोणिक)
सम्मेतशी प्रभुजी मल्ल नारद मुनि
सम्मेतशी २२. | प्रभुजी श्रीदेव अम्बड श्रावक
सम्मेतशी २३. भजी अनन्तविर्य अमर
सम्मेतशी २४. | प्रभुजी भद्रकृत शतबूधि
स्वर्ग अष्टापद
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