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श्री शासन (8418). वर्ष १३. १७/१७ . . १८ १२-२००० पू. मुनिराज हंसविजयजी म. सा. ने विविध पूजा संग्रह भाग ७ पेज ५८६ पर “श्री गिरनार मंडल नेमीनाथ की १०८ प्रकारी पुजा की ११भी ढाल, के दोहे मे प्रकाशित हैं कि कहे ? प्रभास पाटण में, बामन के अवतार आने रैवति पर्वत, तपकियाना हरीसार ।।१। महा घौर कलीकालमें, कलि कल्प केर नाश क्रोड यज्ञ फल को दिये नेमिनाथ जिन हरि प्रवर ॥२।। महाविदयकदिने ज़ागरेण गुणगाय । जयन्त गिरि उपरे हरि निर्मल हो जाया ।।३।। नारद लिखित रवैतकाकिस्तोत्र कल्प अनूसार । भावि चौविसीकें सर्व तिर्थंकर सूखकार ॥४॥ अनशन करे रवैतीरि पावेगें निर्वाण नेमीश्वरादिन आठ के अतित ३ कल्याण अब प्रश्न यह है कि “यह पुजा वि.स. १९७६ मे बनी - भगवान की घोषण जिवन काल की है - इस पुजा के अलावा २५ ही तिर्थंकर के गिरनार पर निवार्ण पाने का और कोई प्रमाण हो तो लिखकर जानकारी बताने की कृपा करावे ।
२३ तिर्थंकर को माता - पिता, नगर आदि भी बताने की कृपा करावे । १. प्रभास पाटण वैष्णव २. वामन अवतार (कृष्ण) ३. हरिसार (कृष्ण) ४. महाविर १४ कोइ कल्याणक ५. हरि निर्माण होगी व कृष्ण। ६. नारद बिखति रैवत की...
जिज्ञाशू. वि.स २०५७ श्रा. कृ. ८ सोमवार
चतरसिंह नाहर भगवाह केवलज्ञानी है गौतमस्वामी चार ज्ञान के धणी है
Clo. मोर्डन सर्विस स्टेशन,
ठि. होस्पीटल रोड, उदयपुर-३१३००१ फोन : २४३५० श्री "जैन समाजसे भावी चौविसी के "निवार्ण" तथा माता, पिता तथा 'जन्मभूम, आदि
शास्त्रोक्त बताने की सूझाव देने की विनंती. प्रभु भगवान महावीर स्वामीने “राजगृही नगरी के | मानने वाले है । श्वे. मू. मे “मतान्तर" चल रहा हैं बहुमत गुणशोरू उद्यान में गौतमादिशी गणधरो के प्रश्नोतरो का उतर कहता हे कि “२४ ही तिर्थंकर" “गिरनार" पर मक्ष जायेगे देते हुये फरमाया की "हे गौतम" भावी चौविसी के प्रथम | - अल्पमतर० को “सम्मेतशिखर" पर एक “पावाप्री" एक तिर्थको "श्रेणीकराजा" का जीव काल कर प्रथम नरक में "गिरनार" एक "चम्पापुरी" य एक "अष्टापद और इस चौरास हजार वर्ष की आयु पूर्ण कर “शतद्वार नगर" में मान्यता की पुष्टि मे भगवान वर्णित "तित्थोगाली पयन्ना" सुमति नामके कुलकर की राणी भद्रा की कूक्षी में अषाढ शू. प्रस्तुत करता है इसी “तित्थोगाली पयन्ना" के आधार पर ६ को च्यवन करेगे - चै. शू. १२-१३ को जन्म मागशर कृ. भावि चौविसी का कार्तिक पूनम के पश्चात "चार्ट प्रकाशित १० दिक्षा' वै. कृ. १० को केवल व का. कृ. 55 को करने की भावना है । अतः श्वेताम्बर हो अथवा दिगम्बर - पावापुर मे मोक्ष जावेगे । उन की आयू ७२ वर्ष - काया ७ | साधु - साध्वी हो अथवा श्रावक - श्राविका इस हाथ लंछन सिह वर्ण स्वर्ण होगा । यानी सब कुछ मेरे "तित्थोगालीपयन्ना" के मुकाबले जो "केवली" तीर्थकर सदृश होगा । तत् पश्चात भावी २३ तिर्थंकरो की भी जिवन | भाषित हैं कोई “प्रमाण हो तो निचे के पते पर प्रस्त करने - यानी (१) सूरदेव (२) सूपार्श्व आदि का सब का की कृपा करे - उनका भी आभार “चार्ट" में प्रग्ट किया वर्तमान चौविसी के २३ ये पार्श्व २२ वे नेमिनाथ व पहेले | जावेंगा । साथ ही भावी दूसरे तिर्थंकर "सूरदेव' सं २४ मे ऋषभदेव के अनुसार ही होंगे । इन मे प्रथम पावापुरी मे दूसरे | तिर्थंकर “भद्रकृत" तक के माता - पिता - जन्म भृ मे आदि सूरदेव सम्मेह शिखर पर - तिसरे सूपाश्व गिरनार पर मोक्ष. ज्ञात हो तो लिखाने की कृपा करे - उनका खुब आभार प्रगट जावेगे। इस तरह क्रम चालु रहेगा छेल्ले २४ वे तिर्थंकर ही | किया जावेगा। भद्रकृत ५०० धनुष्य की काया वाले ८५ वा एवं पूर्व की पता: आयुष्य वाले वृषभञ्छन वाले अष्टापद पर्वत पर मोक्ष जावेगे C/o. मोर्डन सर्विस स्टेशन
जिज्ञासू । यह सब वर्णन भगवान महावीर स्वामी ने किया है जो
H.R. पैट्रोल पम्प :"तित्थोगामी पयन्ना" मे प्रकाशित है | "जैन समाज" के
ठे. जनरल होस्पिटल रोड, चतरसिंह नहर हजारेश्वर,
का सस्नेह प्रगाम दोनो फौरके "श्वेताम्बर" व "दिगम्बर" भावी चौविसी को पो. उदेपुर (राज.)-३१३००१
मश:
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