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જૈન કોન્ફરન્સ હેરલ્ડ. गोरे २ बडे २ पर्वतोंके पार हो सकते हैं. जो उपरके सोपान पर चढे, वे भी मारे जैसे मनुष्य थे वे भी आत्मिक बलसे ही उस दरजे पर पहुंचे थे. आत्मशक्तिमें विश्वास रख कर चलनेसे हम भी सफलमनोर्थ हो जायगे. “. हिम्मते सरदा, मददे खुदा. " जिस कामको एक पुरुष कर सकता है उस कामको दूसरा न कर सके, इसकी कोई वजह नहीं है. इस लिये दुसरोंका भरोसा छोड आत्मबलके विश्वासपर हमें काम करना चाहिये कारण कि आत्माके लिये कोई काम असाध्य नहीं है. सारे जगतका अनुभव हम पांचा इन्द्रियोंसे करते हैं; इन्द्रियोंका स्वामी मन है और मनका स्वामी आत्मा; अत एव आत्मा ही त्रिभुवनका स्वामी है. वही त्रिभुवनाधीश मेरे शरीरमें बैठा हुआ है. जो ऐसा विचार दृढतासे आवे तो मनुष्यको हिम्मत और धैर्यका पार ही न रहे.
ग्रीकका विद्वान डिमोस्थनीस पछेिसे बडा भारी वक्ता हो गया था. वह पहले पहल जब राजसभामें बोलनेको उठा तब उसपर सब लोग हँस पडे. उस समय उसने आत्मशक्तिमें-'सत्व' में विश्वास होनेके कारण कहा कि "आप भले ही मुझ पर इस तरह हँसे, परन्तु आगे चलकर आपही मेरी प्रतिष्टा करेंगे. " बोलते वक्त उसकी जिभ अटकी थी. उसने नदीके किनारे जा मुंहमें कंकर डाल वैसेही बोलना शुरु किया. इस तरह अभ्यास करते २ वह एक प्रसिद्ध वक्ता हो गया. यदि उसमें आत्मविश्वास न होता तो वह प्रसिद्ध वक्ता न बन सकता. यदि उसने निराश होकर दुसरीवार बोलनेका यत्न न किया होता तो वह कभी अपने काममें सफलमनोर्थ न होता.
पहले प्रयत्नमें ही मनुष्य सफलता पा जाय ऐसा कोई नियम नहीं है. चाहे. तुम्हे सफलता न मिले परन्तु प्रारम्भ किये हुऐ कार्यको कभी न छोडो. तुम्हे चाहे हजार बार निष्फलता हो परन्तु कामको न छोडो..
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः ।
प्रारभ्य चोत्तमजना न परित्यजन्ति ॥
उत्तम मनुष्य विघ्नोंसे बार २ निष्फलता पाने पर भी आरम्भ किये हुए कामको नहीं छोडते. ऐसा होनेसे कभी न कभी उस काम में सफलता मिलही जाती है. चाहे तुम्हे यह मालूम हो कि हमारे कामका परिणाम नहीं निकला, परन्तु यह निश्चय रक्खो कि ऐसा नहीं है; आप विजय पानेक समीप चले जाते हो. अन्ततः आत्मा विजयी है; जीत अवश्य मिलेगी..