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शास्त्रका कथन है कि-वेश्याकी योनि सुजाख और गरमीआदि चेपी रोगोका जन्म स्थान है. बिचार कर देंखाजावें तो बीलकुल सत्य है. और इसकी प्रमाणतामें लाखों उदाहरण प्रत्यक्ष ही दीख पडते हैं कि- वेश्या गमन करने वालोंके उपर कहे हुए रोग प्राप्त हो ही जाते हैं. जिनकी प्रसादी उनकी विवाहिता स्त्री और उन के सन्तानोंतक को मिलती है.
पांचशं मद्यपान (शराब). यह भी व्यसन महा हानिकारक है, मद्य के पीनेसे मनुष्य बेसुध हो जाता है और अनेक प्रकार के रोग भी इस से होजाते है डाकटर लोक भी इसकी मनाई करते है-उनका कथन है कि मद्य पीनेवालों के कलेजे में चालनाके समान छिद्र हो जाते हैं और वे लोग आधी उम्र मेंही प्राण त्याग करते हैं इस के सिवाय धर्म शास्त्र ने भी इसको दुर्गतिका प्रधान कारण कहा है.
____ठा मांसभक्षण . यह व्यसन भी नरकका देनेवाला है इसके भक्षण (खाने) से अनेक रोग उत्पन्न होते है देखो इमकी हानियों को विचार कर अब यूरोपआदि देशो में भी मांस न खानेकी एक सभा हुई है उस सभाके डाक्टरोंने और सभ्यों (मेम्बरों) ने वनस्पतिका खाना पसन्द किया है तथा प्रत्येक स्थानमें वह सभा विजेटरियन सुसायटी) मांस भक्षण के दोषो और वनस्पति के गुणोंका उपदेश कर रही है.
सातवां शिकार खेलना. महा व्यसन शिकार खेलना हैं इसके विषयमें धर्म शास्त्रोमें लिखा है कि-इसके फन्दे में पडकर अनेक राजे महाराजोने नरकादि दुखोंका पाया है. वर्तमान समयमें बहुत इसे राजे महाराजे इस दुर्व्यसनमें मम है. यह बडेही शोककी बात है, देखो राजाओका मुख्य धर्म तो यह है कि सब प्राणियोंकी रक्षा करें अर्थात् यदि शत्रु भी हो और शरणमें आ जावे तो उसको नमारे, अब बिचारना चाहिये कि बेचारे मृग आदि जीव तृण खाकर अपना जीवन बिताते