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જન કોન્ફરન્સ હે
[અકબર
- बरनगर ग्वालीअर-ओसवाल जैन जातिकी सभा ता. २२--६-११. . समस्त पंच ओसवाल जैन श्वेतांबर ओर साधुमार्गी जैन पंच ओसवालोकी हवेलीमा अकत्र होकर कोन्फरन्सकी प्रणासे मी. केसरमिल मोतीलाल उपदेशक. की महामेहेनतसे अच्छी तरहसे भाषण दीया, जीस्के उपर समस्त बरनगरके संघने बिचार कीयाकी आपणी बीरादरीमें जो कुछ महा दुष्ट कुरीवाज विवाह. (सादी) में, केन्याविक्रय, बाळलग्न, वृद्ध विवाह, लग्नादी प्रसंगे दारुखानु नहीं छोडना, चाहा बमनीयां जो हरेक स्टेशनोपर मीलती है वो नहीं पीना. वगेर ठराब करवामां आव्या छे.
उपर जणाव्या सिवाय उपदेशक केशरीमल मोतीलाले रुणीजा, बाहरोडा कपासीन वगैरे गामोमां सदरहु ठरावो बाबत भाषणो आपी कुरीवाज बंध कराव्या छे.
एत्तदेशीय समस्त वैश्य जातिकी पूर्वकालिन ।
सहानुभूतिका दिग्दर्शन.
अनुसंधान गतांक पृष्ट २३७ थी .. .. देखो बहुतसे लोग तो यह कहते हैं कि-जैन श्वेताम्बर कोन्फ्रेंस सुात वर्षसें हो रही है और उसमें लाखों रुपये खर्च हो चुके है और उसके सम्बंधमें अबभी बहुत कुछ खर्च हो रहा है परन्तु कुछभी परिणाम नहीं निकला बहुतसे लोग यह कहते हैं कि--जैन श्वताम्बर कोन्फ्रेंस होनेसे जैन धर्मकी बहुतही उन्नति हुई है अब उक्त दोनो विचारों में सत्यका अंश किस विचारमें अधिक है इसका निर्णय बुद्धिमान और विद्वान जैन कर सकते हैं. - यह तो निश्चय ही है कि गणित तथा यूकलिडके विषयके सिवाय दूसरे किसी विषयमें निर्विवाद सिद्धान्त स्थापित नहीं हो सकता है देखो गणित विषयक सिद्धान्तमें यह सर्व मत है कि-पांच में दोके मिलानेसे सात ही होते है पांच