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________________ १९१०] एक आश्चर्यजनक स्वप्न. [३०१ एक आश्चर्यजनक स्वप्न. ( लेखक शेरसिंह कोठारी-सैलाना) अनुसंधान पाने २३५ थी हाथी दांतका चूड'. हे पुत्र ! मुझे इस बातपर बडी हांसी आतीहै कि यह रिवाज क्योंकर प्रचलित हुवा. उफ ! जब २ हम इसकी तर्फ बिचार करतेहैं तब २ सिवाय पछतानेके कुछभी हात नहीं आता. हे दयावान पुत्र ! इस्मे द्रव्ये और भावे दोनोही तरह से नुकशान हैं. देख, एक हाथीदांतके चूडेके कमजकम ४०-५० रुपै लगतेहै और जिसमेंभी अगर टूट फूट जावे तो एक कौडीभी पीछी पैदा नहीं होसक्ती. यदि उन्ही पचास रु० का उमदा सुन्ना लाकर टीपे ( पट्टिये जडवा दी जावें तो कैसा उमदा मालुम होताहै तथा जब चाहो उसके रुपै लेलो. इसके अतिरिक्त यह चूडा एक पंचिन्द्री जीवके जीव हिंसासे प्राप्त होताहै. कइ भाइयोंके यह खयालातहैं की पलेहुवे ( tamed) हाथियोंके दांतोसेंही चूडे बनाए जातेहै, परन्तु ये खयालात उनके बिलकुल गलतहै; सबबकी जो कभी ऐसा हो तो लाखों चूड़े हरसाल कहांसे आतेहैं. हे सुज्ञ पुत्र ! जिस प्रकार यह होताहै वह भै तुझे बतातीहुं, लक्षपूर्वक सुन: . सिंगलद्वीप ( Ceylon ) की तर्फ जंगलोंमें हाथियोंके टोलेके टोले होते हैं. वे हाथी खतर नाग होनेसें मामुली तौरपर पकडे नहीं जा सक्ते वास्ते ऊंडे २ कूवे खोदकर उनपर हरियाली विछादी जातीहै, तब उस हरियालीके कारणसें वे जंगली हाथी, आकर कूवों में गिर जाते हैं, तत्पश्चात् बहार रहे हुवे लोग भालोंसे ऊपरसें ही मारडालते हैं और उनके दांत लेजाकर चूडे बनाये जातेहैं. सुनने में आताहै की इस दांतके लिये एक सालभरमें ७०००० हाथी मारे जातेहैं हाय, हाय, शोक, महाशोक !
SR No.536506
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1910 Book 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1910
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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