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એક આશ્ચર્યજનક સ્વપ્ન.
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एक आश्चर्यजनक स्वप्न( लेखक शेरसिंह कोठारी—सैलाना ) अनुसंधान पाने १६१ थी.
वृद्ध विवाह. 'यह रिवाजभी कन्याविक्रयहीसे तआलुक रखता है; यदि कन्याविक्रय बंद करवा दिया जावे तो यहभी आज बंद होसक्ता है. उफ् ? अक्लके अन्धे वृद्ध पुरुष केवलमात्र अपने गृह कार्यके लिये एक नौजवान लड़कीको अपने घरमें लाकर उसका जन्म नष्ट कर देते हैं वे वृद्धपुरुष अपने शादीके समयमें भस्मा ( A kind of Powder ) जिस्से कि बाल काले होजाते हैं लगाकर तथा दांतोकी नई बत्तीसी बिठाकर जवानसे बैठते हैं परन्तु अपने दिलमें इतनाभी नहीं सोचते कि ऐसा करनेसे अखीर वे नरक के अधिकारी होंगे.
बाल विवाह कई लोग छोटे २ बच्चों की शादी कर देते हैं और इस बातको पेश करते हैं कि न मालूम ये - बच्चे हमारे मत्युके पीछे ब्याहे जावेंगे या नहीं ; परन्तु मेरे प्यारे भाई यहभी खयाल नहीं करते
कि ऐसा करनेसे विचारे बच्चे जवान होनेपर बहुत पछताते हैं. हे वत्स ! इसमें तीन बड़े भारी नकसान होते हैं, प्रथम तो बचपनहीसे आपसमें डरते रहने के सबबसे उम्रभर तक प्रेम नहीं रहता; दूसरे इसबात की भी सनाख्त नहीं होसक्ती कि जवान होनेपर वे मूर्ख निकलेंगे अथवा विद्वान तीसरा तूं खुद जानता है कि जहांतक लडकी स्वयं रजस्वला न हो जाय, पुरुषको उसके साथ संसर्ग नहीं करना चाहिये तो फिर निश्चय हवा कि बाल विवाहमें इसकाभी दोष आता है जिससे कि । उनकी सन्तान निर्बल होती है और इसीसे धर्म कर्मके योग्य नहीं रहते
हे सुशील पुत्र, शादी वही है कि जिसमें मांगलिक बातें होती हैं ; परन्तु जिसमें अच्छे काम नहीं होते हुवे अमंगलिक होवें उसे मैं तो शादी नहीं बल्कि गमी ही कहूंगा:
आजकल जो अपने अन्दर शादी होती है वह अविधिसे होती है. हे भाई जिस वक्त अपन एक हरी वस्तुमात्र का बंधन करते हैं उस वक्त हमारे पवित्र मुनिराज छे छे साक्षी लगा, कर प्रत्याख्यान करवाते हैं तो फिर न मालूम हमारे श्रावकभाई सारी शादीमें मंत्रादिकोंमें अरि- . हंत भगवानके नामतकका खयाल क्यों नहीं करते:- .
कई वैष्णव भाई इसबातको पेश करते हैं कि जैनियोंमें बिलकुल संस्कारही नहीं हैं। परन्तु यह खयाल उनका बिलकुल गलत है सबब कि, हमारे जैनशास्त्रों में सोलाओं संस्कार पूर्ण तौर पर चर्चे गये हैं. हे वत्स ? लोगोंको चाहिये कि जरा अज्ञानरूपी पर्देको दूर करके जैनधर्मानुसार शादी करनेकी कोशिस करें अब शादीमें जो २ अनर्थकारी बातें होती हैं वे मैं तुझे बताती हूं: