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જૈન કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ.
(જાન્યુઆરી
सच्चा सो मेरा.
गया अंकना पृष्ट ३१८ थी सुरू ४ प्रियवर ! सर्व जैनि श्री वीर परमात्माके सन्तामीये अर्थात् अंतिम तीर्थंकर भी माहावीर भगवानके शासनके भाराधिक होनेसेही अपन चतुर्विध संघवीरपुत्र कहलाते हैं, अब विचार करियेकी हम सच्चे वीरपुत्र हैं अथवा कहने मात्र, श्लोकः धीरत्वम् शिरः त्रुटोपि वीरत्वम् नैव मुञ्चति । दीनत्वम् पाद युक्तोपि हीनत्वम् नैव मुञ्चति । भावार्थ इस्का यह है कि धीर शब्द सिर रहित कर देनेसे वीर शब्द बन जाता है, भौर दीन शब्दको पाद बढ़ा देनेसे उल्टा हीन बन जाता है. तो विचारिये कि धीरसे वीर शब्द अधिक प्रशंसनीय हैं और दीनसे हीन शब्द अधिक निन्दनीय है, प्रियवर महाशय ! अपनी तीनो वर्गकी उन्नति करना चाहते होतो दीनता हीनताको कभी ग्रहण न कर हरेक कार्यमें धीरता धारण करना और कभी आपत्तिका समय हो तो वीरता प्रकट करना उचित है.
श्लोकः ४ . प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः प्रारभ्य विघ्नविहिता विरमन्तिमध्याः विघ्नःपुनःपुनरपि प्रतिहन्यमानाः प्रारभ्य चोत्तमणना न परित्यजन्ति ।
देखिये ! अपनी जैन जाति प्राचीन पूर्वकालकी अच्छी स्थितिकी अपेक्षाम कितनी अवनतिको पहुंच कर कैसी २ भापत्तियां सहन कर रही है. यह सबको विदितही है. इस लिए हे वीरपुत्र महाशय ! आप अपनी जाति व धर्म, व्यापार, विद्या आदिकी सच्ची उन्नति करना चाहते हो तो सच्चे कारणका अवश्य अवलम्बा । करा क्यों कि विना कारण कार्य नहिं बनता.
५ हाल में अपने कान्फरन्तकी कार्रवाई इस ढंगसे चल रही है कि मुख्य कार्यको गाँण, और गौणको मुख्य; इस लिए ऐसा न करके मुख्य सुधारेके तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे शीघ्रोन्नति हो. देखिये एक मनुष्यका घोड़ा चोर ले गया तो उसकी परवाह न कर, जीव, मोरा, डुमची, रकाव आदिको संभालने लगा परन्तु बिना घोडेके वह सामान किस कामका ? इसी तरह जहांतक उन्नति रूपि घोड़ा जाह मिलेगा यहांतक इस दृष्टान्तके माफिक सर्व तैयारिये किस कामकी ? यी ऐसा है तोभी मैं इस मंडप आदिकी तैयारिसे विरुद्ध नहिं हुं कारणकी इतनी धुम बाल विगेरे जागृति नहिं होती अभी चाहे वह सुधारा न हुधा तोभी कहना होगा कि जैन वर्गमें जागृति जरूर हुई, तथा पूर्वकी अपेक्षासे कितनाक सुधारा जरू: इका यह वर्तमान पत्रोद्वारा प्रसिद्ध हो चुका है.
६ अपन सर्व जनबंधु दूर २ से वक्त और पैसा खर्चकर जिस अभिप्रायस इस महा सभामें एकति होते हैं, वह अभिप्राय पुरा करनेकी कोशिश होनि चाहिए, दृष्टान्त है कि एक मनुष्य अपने बेलको जंगलमें चराने ले गया पिछा आते वक्त घासका गठ्ठाभी लाने लगा तो बेलको दुगना ( डबल) बोझा लगेगा