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हमारे पास मार्च सन् १९०९ ई० से प्रगट होनेवाला जैन प्रकाशक नाम के मासिक पत्रका प्रथम अङ्क प्राप्त हुआ... यह पत्र भारत वर्ष जैन शिक्षा प्रचारक समिति व जैन यंग मैन्ल आफ इन्डिया तरफसे बाबू सूरजभानुजी वकील देववन्दर्से निकालते हैं. यः । हमारे हिन्दी जानने वाले जैन बान्धवोंको इसके लेखोकी रचना और चमक नमक देखकर अत्यन्त उपकारी है. प्रगट कर्त्ताने अपने बान्धवों के लाभार्थ तन मन धनसे इसको बडे परिश्चमके साथ प्रगट किया है. इस मासिकके सर्व लेग्न उत्तम होकर मुल्य भी न्यून।) ० रखा है. इस लिये. हम आशा करते हैं कि अपने सर्व जैनी भाइ इस नये पत्रके ग्राहक होकर इसको उच्च शिखरपर परावे.' आमा है कि इस कदर, नवे २ उत्तम पत्र निकलते रहेंगे तो बहोत र रह वर्ग उन्नतिपर पहुंचेगा."
हमको मत काय जन शिक्षा प्रशारक समिति जयपूरका तृतिय वार्षिक रिपोर्ट मिला २८ को देखकर हमको बहोत हर्ष प्राप्त हुआ कारण कि यह उच्च जैन जाति जो कि पन्य जातियों से पिछड़ी हुई उसको उन्नति के शिखरपर लाने के वास्ते उक्त समितिका सर्व प्रयत है, इससे हम को आशा होती है कि यह समिति शीघ्र ही अपने जैन सान्धवों के अज्ञानताका नाश करेगा. समितिका उद्देश भारत के सब जैनी को शिक्षा प्राप्त करानेका है. इस समितिने अपनी शिक्षा मनाली में सर्व विश्य रक्खे है तथा धार्मिक विषय देखकर और भी विशेष आनन्द प्राप्त होता है. इस संस्थाका का सर्व प्रकार उसम है. पुरुष और स्त्री शिक्षाका सर्व प्रकार योग्य न किया है
समितिने अपन रिपोर्ट में विद्यार्थीयों की क्रमवार संस्था और परीक्षा फल तथा परीक्षा पपरकी नकल व सालभाका एकन्दर हिसाब मेम्बर इत्यादि के नाम प्रगट किये हे. हुम आशा करते हैं कि सर्व जैन बन्धु इस समितिको . तन मन धनसे मदत देकर उस शिरवर चढाये समितिने न्यून वयमें अपने कार्यकी अच्छी उन्नति की इसके लिये उसके कार्य कर्ताओ को धन्यवाद देते है.
જેન ભાઈઓને એ મેત્યની સુચના. છે તેની સ્થળમાં જન ધમ અને જે તેમની ઉન્નતિને લગતી દરેક બાબતની ખબર આ માસિકમાં પ્રગટ કરવા માટે કે મોની તાત્ર ૧૫ મી પહેલાં અમને મળે તે પ્રમાણે મોકલી આપવા જન બંધુઓને ખાસ વિનંતિ કરવામાં આવે છે. આ
આરિટેટ સેક્રેટરી, ન શ્વેતાંબર કોન્ફરન્સ ઓછીએ.
पानी भुग