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१०४] જૈન કેન્ફરન્સ હૈ,
[श्रीम - दुसरे दिन पुनः रथ यात्राका उत्सव किया गया वही गाजावाजा बेंड संगीत मंडली नक्कारे आदिकी बडीधुम थी, कोटेके स्वधर्म वंधुओंकि भक्तीसे विशेष आनंद रहा.
संध्याकों आरती होनेके बाद कोटा निवासी श्रीयुत विमलचंदजी यत्तीने सुधारे संबंधी गायन कीया, फिर सेठ साहबने कान्फरन्सके ठहरावॉपर अमल करनेके लिए व सुधारेके विषयमें प्रभावशाली भाषण करिब २ घंटेतक दिया आपने श्रोताओंके दिलमे ईस बातको जमादी के सुधार करना कितने आवश्यक हे. श्रोताओंने भाषण सुनकर जा. हिर किया कि, कितनेक सुधारे तो हम कर चुके हैं और कुछ कुरिवाज बंदकर आपको सूचना देंगे [ वह सूचना आने पर पुनः प्रकाशित की जायगी ]
ईस मेलेकी जो आय पहले हुई उससे धर्मशाला वजीर्णोद्धारका काम शुरू करदिया गया मगर अभी आर्थिक सहायता की बहोत आवश्यक्ता है, ईस मेलेके अवसर पर कलशः प्रतिष्ठादिकी आम्दनी करिब ८००] रूपेके हुई.
ईस तीर्थस्थलमें एक गुमटीमें श्री रिषभदेव भगवानकी प्रतिमा श्वेतवर्ण बिराजमान है यह वीर संवत् ६९९ की है, अब जीणोंद्धारका जो कार्य शुरू किया गया है मंदिरजी बनानेके लिए एक विशाल सीमा निर्धारित की गई है. .
ईस तीर्थमें जैनियोंके सिवाए बहोतसे अन्य मतावलम्बी भी आते हैं और मा. नता आदि भी करते हैं, बहोतसे नारियल फोडते है, कोई वस्त्र साहत ही केसरादि च. ढाते कोई किसी और ही ढंगमें श्री आदिनाथ भगवानकी पुजा करते है तात्पर्य यह कि दृश्य देखने योग्यथा.
यह कुल सुधारे वधारे मेला होनेके बाद सेठ साहब वापिस पधारने लगे तब कई सज्जनोंने आपको मानदिया, कुछ दूरतक साथ आकर हर्ष प्रकाशित किया.
ता. २७-२-०९ को रवाना होकर रतलाम पहुंचे वहा श्री मुनि पन्यासजी श्री कमलविजयजी आदि महाराजके दरशन किये, दुसरे दिन महाराज साहबके वाक्षान होनेबाद सेठे साहबने पडासली तिर्थका बयान वर्णन किया और रतलाम संघको सूचित किया के यह स्थान आपके पास होनेपर मी आप नहिं जाते हैं इस लिए आपका वंहा जाना कितना आवश्यक है, जिसपरसे कई वंधुओने महाराज साहबके समक्ष आगामी वर्ष मेलमें जानेको प्रतिज्ञा की. बादमें सेठ साहबने मालवा प्रान्तके तीथोंके लिए जैसे मक्सी, मांडवगढ, समालया, वई पार्श्वनाथ, बिबडोद आदिमें तीर्थ रक्षक कमेटी स्था. पन करनेकि आवश्यकता बताई.