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૧૦૦] જેને કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ,
[2ीस વાપરવી બંધ કરી, બેકડાનાં બચ્ચાને ઉછેરવાં ને ૪ માસનાં થયા બાદ પાં. જરાપોળમાં મોકલવા ઠરાવ કર્યો, તે સિવાય પિયાવા ગામમાં કુસંપને લીધે બે તડ હતાં તેઓને ભેગા કરી એકસંપ કર્યો.
हमारा उपदेशक मि. नाथूजवरच गादियाका प्रवास. दिगढान होलकर स्टेटमें जाकर सर्व जैन बान्धवोंको एकत्रित कर भाषन देकर जो ठेराव पास करवाये वो (१) जैन पाठशाला कायम करना (२) जैन विधि अनुसार लग्न किये जावे [३] यदि श्री मांडवगड वार्षिक मेलेपर प्रांतिक कान्फरन्स हो तो तन मन धनसे मदत देना [४] दिगढान जैन मन्दिरके पास कुम्हार लोग रहते है और वो वहां निमाडा पकाते हैं इससे आसातना लगती है वो दूर करना इत्यादि.
उपदेशकसे हुवेला लाभ. गोविन्दगड जिला अजमेरमें मेता पृथ्वीराजजी वक्तावरमलजी ने कुल लोगों इकत्रीत करके, कन्याविक्रय इत्यादि हानिकारक रिवाजोंपर असरकारक भाषण दिया. उस भाषणसे श्रोताओं पर बहोत उत्तम असर हुवा कि सबने मिलकर निम्न लिखित ठहराव किया.
१ कन्याका पैसा किसीने नहीं लेना.. २ चालीस वर्षकी वयसे ज्यादा वयवालेको कन्या नहीं देना,
३ कन्याके पिताकी किन्चित शक्ति न हो तो २०० से २५० तक ले परन्तु इ. तना भी लेनेवालेके यहां जाति भात वगेरः जीमनेको न जावे.
४ जिसकी शक्ति न होने परभी कन्याका पैसा न ले तो उसने एक सेर घी होमकर कन्याविवाहा देना चाहिये [ जोकि कंकु और कन्या कही जाति है.] उसको कोइ कुच्छु न कहसके इस मुताबिक ठहराव करके पंचोने अपनी सही यां की है-सदा दस्ताएवज वहांके पंचोके पास है.
इति..