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२०२] જૈન કોન્ફરન્સ હેરા
[અકબર अने ए त्रणे प्रकारनी अवनति थाय एटले आपणी सर्व वाते अधोगतिज थएली अमेतो मानाए छीए.
छेवटे अमारा जैन बंधुओने आ बाबतमां बे बोल कही अमारो विषय पुरो करीशुं. महावीरना वीरपुत्रो, जीवदयाना हिमायतीओ, अहिंसा धर्मना स्थभो, प्राणीमात्रना मित्रो, कंदमूळ अने वनस्पतिना रक्षको, पाणी, पहाड अने पांदडामां पण जीवनी हयाति माननारा महानुभावो, वातावरण तथा अग्निमां पण जीवनी प्रतीति करनारा करुणाळु प्राणीओ, डगलेडगले अने हालतां चालतां जीवनी संभाळ लेनारा सभ्यो, श्वासोच्छवासना ब्यापारमां पण करकसर करनारा श्रावको तथा कर्मनी निवृत्ति एज निर्वाण छे एवा पण गुह्य सिध्धांतने द्रढ रीते माननारा जैन बंधुओ, कर्मने खपाववा माटे तमाने मळेलो उत्तम प्रकारनो जैन धर्म, तमे गमे ते जोखमे पाळो, पळावो अने पळाववामां अनुमोदन आपो, अने एने माटे तन मन ने धनना व्ययनी दरकार न राखी मन वचन ने कायाए करी जीवहत्याने अनुमोदन आपनारी आ परदेशी खांडनो- उपयोग प्रथम तमे बंध करी तमारा दाखलाथी अन्यने तेनो वपराश वंध पडाववा द्रष्टांत रूप थाओ. अने जगतने जणावो के जैनो जीवदयाना साचा हिमायती छे, छे ने छेज, अने खोळीआमां जीव हशे त्यां सुधी गमे ते भोगे हिमायती रहेशेज. आपणे आम करीशुं त्यारेज आपणे आपणा धर्मनी बुलंदाईनी, आपणी जीवदयानी श्रेष्टतानी अने जैन नामनी निर्मळतानी छाप अन्यना मन उपर पाडी शकीशु. माटे जागो, चेतो, उठो, कमर कसो अने आपणा धर्मना, कोमना, तथा देशना हितना आ महान काममा मन परोवी विजय श्रीरंग दर्शावो.
__ चंद्र.
PADAજૈનોનાં જાહેર ખાતાં અને તેમની હાલની
स्थिति. (सपना२-शाह नरोत्तम भगवानदास.)
___(मनुस धान पृष्ट २०३.) હેરલ્ડના વ્યવસ્થાપકની સૂચના અનુસાર આ વિષય આ અંકમાં સંપૂર્ણ થાય છે. તેથી કોઈ જગ્યાએ વિચારો તૂટક જણાય તો ક્ષમા કરવા વિનતિ છે.