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________________ 300 ] જૈન કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ [ मोटोप्र जेवुं छे. माणसना माथे घणां ऋण छे तेमां जन्मभूमिना हितनुं ऋण पण छे अने तेथीज कहां छे के : जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी. जन्म आपनार माता तथा जे भूमि उपर आपणो जन्म थयो होय ते भूमि स्वर्ग करतां पण श्रेष्ट छे. दरेक माणसने माथे आ बन्ने माताओ तरफ पूज्यभावथी जोवानी फरज कुदरतेज नांखी छे अने जेओ मनुष्य संज्ञाने योग्य छे तेओ तो स्वार्थना भोगे पण आ बन्ने फरजो अदा करवा कदी चुकता नथी. आजकाल स्वदेशीनी चळवळ चालु थई छे. अने ते चळवळने उत्तेजन आपवा अथवा तो तेने वधु लोकप्रिय बनाववा 'माटेज परदेशी वस्तुओने बनी शके तेटले अंशे आपणा वपराशमां लेवी नहीं जोइए. अने एवी परदेशी वस्तुओं पैकीनी परदेशी खांड उपर हालमा लोकोनुं ध्यान गये छे, ए कांईक आवकारदायक छे, कारण के बीजी वस्तुओमां तो फक्त पैसानी हानिनो सवाल मुख्य होय छे त्यारे आ खांडमां तो जीवहत्यानो सवाल आवे छे. आपणा देशनी प्रजानो मोटो भाग हिंदुओनो छे अने हिंदुओ जीवदया प्रतिपाळ छे तेथी आ भ्रष्ट खांडनो सवाल अवश्य वहेलो मोडो आवकार पामशेज आपणा जैनो माटे आ सवाल बेवडी जवाबदारीनो छे, अने ते उपर कहेवामां आव्युं छे. देश काळ अनुसार जे प्रजानुं के जे कोमनुं के जे व्यक्तिनुं वर्तन थतुं नथी ते प्रजा, कोमके व्यक्ति आ भूतळमां कांईपण करवाने लायक गणाती नथी अने दुनियानी सपाटीउपर गणना वगरना थईने जीववुं तेने विचारवंतो तो कदी जीवननुं उपनाम आपशेज नहीं, माटेज जो जीवन साफल्य करवुं होय, जन्म्या प्रमाण मनाववुं होय अने जन्म माता तथा धारण करनार ( भूमि ) माता ने भाररूप थई पडवानी बदनामी न वहोरवी होय तो देश प्रत्येनी फरज बजाववानी आ मळेली तकने हाथथी गुमावी देता नहीं. करोडो रुपीआ आवी भ्रष्ट खांडनी आयातथी परदेशखाते जाय छे, अने एथी अद्रश्य रीते देश गरीब थतो जाय छे, पण जो आ भ्रष्ट खांडनी वपराश बंध पाडवामां आवशे तो एटलो पण देश एटले आपणनेज फायदो थयो गणाशे. केटलाक टुंकी नजरना चीबावलाओ मिथ्या बकन्त्रकाट करे छे के एवी एकाद वस्तुनो उपयोग अमुक कोम के अमुक माणसे बंध करवाथी कांई आखा देशना लोको तेम करशे नहीं पण तेवाओ माणस जातना स्वभावना अभ्यासी होय एम जणातुं नथी. माणस नकल करवामां तथा एक बीजानुं
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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